परदेश से जब आयेंगे मेरे साजना
रूठ जाऊंगी करूँगी उनसे बात ना
जो भी कहो,कहूँगी,दूर से ही कहो
रखने दूँगी बदन पर उन्हें हाथ ना॥
पूछूँगी क्यों इतना तरसाया मुझे
काहे पागल सजना बनाया मुझे
तुमने तो मुझको भुला ही दिया
काहे सताया इतना रुलाया मुझे
आदतें ये तुम्हारी आयी रास ना॥
हाय तुम क्या जानो कैसे रही हूँ
जीवित भी हूँ कि या मर गयी हूँ
तुम बड़े बेरहम हो बेदर्दी पिया
बस मैं ही यह जानूँ जैसे रही हूँ
लगता आयी तुम्हें मेरी याद ना॥