बुधवार, 12 अगस्त 2009

मेरी आँखों की नीदों को उड़ाके वो गए

मेरी आँखों की नीदों को उड़ाके वो गए। 
रिश्ता दिल से दिल का जुडाके वो गए। 

सब कुछ ठीक ही चल रहा था अब तक 
जाने किस बात पे मुँह फुलाके वो गए। 

रूठ भी गए तो मना लेंगे उन्हें प्यार से 
हाय झटक मेरी बहियाँ छुडाके वो गए। 

सोचा गुजार देंगे जीवन यह साथ-साथ 
झुकना तो दूर मुझको झुकाके वो गए। 

मन का दुःख अब किस से कहने जायें 
कसम से तन-मन मेरा दुखाके वो गए




मंगलवार, 11 अगस्त 2009

ज़रा- ज़रा सी बात पर अपने रूठने लगे


ज़रा- ज़रा सी बात पर अपने रूठने लगे।
इसी वजह से आजकल रिश्ते टूटने लगे।

कैसे  निभें  रिश्ते  बताओ  दूर तक भला
अपनत्व  के  सागर  दिलों में सूखने लगे।

कैसे  निकलें  घर  से  माँ  बहिन - बेटियाँ
गली - गली  में  गुंडे  मवाली  घूमने  लगे।

बढ़   रहे  अपराध  दिनों  दिन  समाज में
गुनाह  कर के  लोग  बेगुनाह  छूटने  लगे।

जल्दी  से हर कोई  बनना  चाहता  अमीर
जिसको  मिलता  मौका  जहाँ  लूटने लगे।




रविवार, 9 अगस्त 2009

बंसी बजैया कृष्ण कन्हैया


बंसी बजैया, कृष्ण कन्हैया
आयी हूँ ,तेरे दरबार में
हाँ, आयी हूँ, तेरे दरबार में
कोई नहीं सिवा, तेरे कन्हैया
मेरा इस संसार में
हाँ, मेरा इस संसार में।


तेरी शरण में सुख मिलता है
तन खिलता है, मन खिलता है।
है मुझको भरोसा, तू सुन लेगा
विनती मेरी, एक पुकार में
हाँ, विनती मेरी,एक पुकार में।


मतलब की है, दुनिया सारी
दुनिया जीती है, पर मैं हारी
सुध बुध अपनी, भूल गई मैं
पागल होकर, तेरे प्यार में
हाँ, पागल होकर ,तेरे प्यार में।


बंसी बजैया, कृष्ण कन्हैया
आयी हूँ ,तेरे दरबार में
हाँ, आयी हूँ, तेरे दरबार में
कोई नहीं सिवा, तेरे कन्हैया
मेरा इस संसार में
हाँ, मेरा इस संसार में।




शनिवार, 8 अगस्त 2009

तुम्हारे जितना मुझे कोई भाता नहीं है


तुम्हारे जितना मुझे कोई भाता नहीं है।
तुम्हारे सिवाय नज़र कोई आता नहीं है।

लगता है तुमने भी मुझको दिल दे दिया

वरना यूँ देख के कोई मुस्कराता नहीं है।

मेरी किस्मत मेरे साथ जरूर रही होगी

ऐसे आसानी से प्यार कोई पाता नहीं है।

मुझे बड़ा सकूं मिलता है तेरे ख्यालों में

यूँ ही दिल गीत कोई गुनगुनाता नहीं है।

शुक्रवार, 7 अगस्त 2009

हिंदुस्तान के वीर सैनिक


सीमाओं की है रक्षा तुमसे
तुमसे यह हिंदुस्तान है
हिंदुस्तान के वीर सैनिको
तुमपे हमको अभिमान है।

घरवार छोड़ सीमाओं पर
बैठे हो आँखें लगाये
उसे मिटादो जो भी दुश्मन
सीमाएं लाँघ के आए
तुमसे देश का गौरव है
तुमसे देश की शान हैं।

देशवासियों की खातिर
सीमाओं पर कष्ट उठाते हो
अपनी नीदें खो करके
हमको बेखौफ सुलाते हो
तुम सब के लिए हमारे
दिलों में बड़ा सम्मान है।

तुम्हारी बहादुरी के आगे
दुश्मन टिक नहीं सकता
तुम्हारी पकड़ छुडा करके
दुश्मन भाग नहीं सकता
धन्य तुम्हारा है देश प्रेम
धन्य तुम्हारा बलिदान है।

हिंदुस्तान के वीर सैनिक
दुनिया में नम्बर एक हैं
तुम्हारी वीरता की गाथाएं
एक नहीं कई अनेक हैं
कभी न मुडके पीछे देखो
ऐसी तुम्हारी पहिचान है।

धन्य हैं वो माँएं जिन्होंने
तुम सा वीर जवान जनां
मातृभूमि की रक्षा खातिर
कर देते हो खुदको फ़ना
देशवासियों के काम आए
जीवन तुम्हारा महान है

गुरुवार, 6 अगस्त 2009

अपराध की दुनिया दुनिया दल दल


अपराध की दुनिया है दुनिया दल दल
फंस जाए जो वो पाए न निकल
सोचने बैठे तो वो सोचता ही रहे
फिर भी 
न सूझे कोई उसको हल। 

पता नहीं जाने कब क्या घट 
जाय 

मारने को निकले और ख़ुद मर जाय
मौत मंडलाये सिर पर हर एक पल।
अपराध की दुनिया है दुनिया दल दल

छुप छुप जीना भी है कोई जीना
ऐसे जीवन ने सुख चैन ही छीना
आज का भरोसा नहीं क्या होगा कल।
अपराध की दुनिया है दुनिया दल दल

पीछा न छोडे कर्मों का लेखा जोखा
काटता है वही वो जो भी यहाँ बोता
भोगना ही पड़ता अपने कर्मों का फल।
अपराध की दुनिया है दुनिया दल दल





बुधवार, 5 अगस्त 2009

मेरे भइया प्यारे भइया बहिन को क्यों भुला दिया


मेरे भइया प्यारे भइया बहिन को क्यों भुला दिया।
हुई खता क्या मुझसे जो खुदको मुझसे जुदा किया।
मेरे भइया प्यारे भइया....

मात-पिता की हम हैं दो ही संताने
मैं जानू यह भइया और तू भी जाने
मैंने तो माना मगर यह तू नहीं माने
एक खून थे हम और तुम गैर मुझे क्यों बना दिया।
मेरे भइया प्यारे भइया....

कहीं भाभी ने ही कुछ कह दिया होगा
मेरे खिलाफ तुम्हें कुछ भर दिया होगा
और अपने पक्ष में तुम्हें कर लिया होगा
जीते जी ही तुमने अपनी बहिन को क्यों रुला दिया।
मेरे भइया प्यारे भइया....

जबसे हुई हूँ मैं घर से पराई भइया
कभी तुम्हें याद न मेरी आयी भइया
जाने कौन घड़ी की मैं हूँ जाई भइया
ख़ुद कुछ भी न सोचा भाभी का क्यों कहा किया।
मेरे भइया प्यारे भइया....

भाई बहिन के बीच की दीवार है भाभी
ठीक नहीं होती है ऐसी बेकार है भाभी
भइया के सुख दुःख की संसार है भाभी
भइया मेरा बुरा नहीं भाभी ने ही मुझे छुडा दिया।

मेरे भइया प्यारे भइया....

आखिर तुम क्या चाहते हो बतलाओ हमें


आतंकबादी

आखिर तुम क्या चाहते हो बतलाओ हमें
तुमको किसने भड़काया है बतलाओ हमें

जिस थाली में खाओ उसी में ही छेद करो
यह पाठ किसने पढाया है बतलाओ हमें

कसूरबारों को मारो तो जाने हम भी तुम्हें
बेकसूरों ने क्या बिगाडा है बतलाओ हमें

तुम चाहे पचास मारो चाहे फ़िर सौ मारो
अब तक भला क्या पाया है बतलाओ हमें

आग लगादी है तुमने इस प्यारे वतन में
क्यों तरस ही नहीं खाया है बतलाओ हमें

एक दिन तुम ख़ुद भी मर जाओगे ऐसे ही
क्यों व्यर्थ जीवन गंवाया है बतलाओ हमें




मंगलवार, 4 अगस्त 2009

एक - दूसरे के साथ चले हैं हम दोनों


एक - दूजे के साथ चले हैं हम दोनों।
मस्ती में मस्ती से खिले हैं हम दोनों।

लाख लगा ले दुनिया पहरा फ़िर भी
जब भी चाहा तभी मिले हैं हम दोनों।

रंग गए तन-मन से मिल कर होली में
एक
-दूजे को रंग खूब मले हैं हम दोनों।

सफल हुआ है जीवन अपना धरती पर
प्यार से मिल के फूले फले हैं हम दोनों।

सोमवार, 3 अगस्त 2009

दिल से टकराती है जब तेरी याद आती है


दिल से टकराती है जब तेरी याद आती है।
दिल को तड़पाती है जब तेरी याद आतीहै॥


छाया हुआ है अँधेरा दिखता नहीं है सवेरा
तबियत घबराती है जब तेरी याद आती है।

दिल है भारी-भारी झूठ नहीं कसम तुम्हारी
दिल को तरसाती है जब तेरी याद आती है।

देख रहा हूँ तेरी राहें फैला कर अपनी बाहें
साँस आती जाती है जब तेरी याद आती है।