बतलाओ मुझे आप क्यों रोने लगे हो।
आँसुओं से आँखें क्यों भिगोने लगे हो॥
टूटना बिखरना जिसकी आदत हुई
उसे एक धागे में क्यों पिरोने लगे हो॥
रहना चाहते गर खूबसूरत फूलों में
तो जीवन में काँटे क्यों बोने लगे हो॥
पाहिचान बनानी तो हटके जीना होगा
गुम होकर पहिचान क्यों खोने लगे हो॥
जल्दी सो ओ जल्दी उठो स्वस्थ रहोगे
कहो देर तक आखिर क्यों सोने लगे हो॥