ख़ुशी से जीने की खातिर मन भी किया करो।
ख़ुशी अगर न मिले तो भजन भी किया करो॥
हो गयी हो कमजोर नजर तो सुनिये मेरी बात
सोने से पहले आँखों में अंजन भी किया करो।
सही गलत का गर फैसला न हो पाये आपसे
बैठ अकेले कहीं चिन्तन मंथन भी किया करो।
देखो कभी इससे कभी उससे काम न चलेगा
किसी का होना है तो समर्पण भी किया करो।
मनोदशा तभी तुम्हारी शुध्द सरल रह पाएगी
कभी शुद्ध साहित्य का सेवन भी किया करो॥