कोई मुझको यह बतादे कैसे उनको हम मनायें।
पहले की तरह दिलवर कैसे उनको हम बनायें।
वफ़ा ही वफ़ा है दिल में नहीं वेवफा हूँ बिल्कुल
पर क्या करुँ यकीं यह कैसे उनको हम दिलायें।
दिल चीर के कभी भी देख लें वो नजदीक आकर
प्यार ही है इस दिल में कैसे उनको हम दिखायें।
जीना नहीं है जीना फ़िर भी जीने को जी रहा हूँ
हालत क्या हो गयी यह कैसे उनको हम बतायें।
नज़र भर के देखिये वे मान जायेंगी
जवाब देंहटाएंदिल के हालात खुद ही जान जायेंगी
=== बहुत खूब लिखा है आपने, अपना कर देखिये
धन्यवाद
यकीन दिलाने की ज़रुरत कहाँ है, आपके एक एक शब्द में प्यार भरा है.
जवाब देंहटाएंएक उम्दा रचना के लिए बधाई.
उम्दा व लाजवाब रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना है
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना है।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार ग़ज़ल है प्रेमजी..........
जवाब देंहटाएंबधाई
बहुत बहुत बधाई !
वफ़ा ही वफ़ा है दिल में नहीं वेवफा हूँ बिल्कुल
जवाब देंहटाएंपर क्या करुँ यकीं यह कैसे उनको हम दिलायें।
अच्छा कहा बहुत अच्छा कहा प्रेम भाई साहब। बधाई।
wah wah, bahut khoob.
जवाब देंहटाएंbadhiya rachna.
जवाब देंहटाएंकोई मुझको यह बतादे कैसे उनको हम मनायें।
जवाब देंहटाएंपहले की तरह दिलवर कैसे उनको हम बनायें।
धुरंधर ब्लॉगर हो भइया!
तरकीब पता लगे तो हमें भी बताना।
आप सभी ब्लोगर मित्रों का मेरा हौसला बढाने के लिए दिल से धन्यबाद!!
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