सोमवार, 24 अगस्त 2009

मेरे भोले बाबा सुन लो, मन की पुकार को


मेरे भोले बाबा सुन लो, मन की पुकार को।
शरण अपनी ले लो, ठुकरा दूँगा संसार को।
शरण अपनी ले लो, ठुकरा दूँगा संसार को

ठुकराया है दुनिया ने, देकर खूब भरोसा
अब न खाने वाला, इस दुनिया से धोखा
करो कृपा न भूलूँ मैं, तेरे इस उपकार को।
शरण अपनी ले लो, ठुकरा दूँगा संसार को।

जीवन बन गया भोले, सचमुच एक पहेली
जाने कब सुलझेगी, मेरे जीवन की पहेली
राह दिखाना भोले, अपने भक्त लाचार को।
शरण अपनी ले लो, ठुकरा दूँगा संसार को।

तेरे सिवा न कोई है, जिसको कहूँ मैं अपना
लगता
होगा पूरा न , जो भी देखा है सपना
तुम्ही जानो कैसे, मिलेगा चैन बेकरार को।
शरण अपनी ले लो, ठुकरा दूँगा संसार को।

शुक्रवार, 21 अगस्त 2009

जलवा हुश्न जवानी का मुझको दिखाके जां ना।


जलवा हुश्न जवानी का मुझको दिखाके जां ना।
मोह लिया है तुमने मुझको मुसकराके जां ना।

तुझसे जो मिलता जन्नत में भी वो सकून नहीं
मेरी हो जाओ रखेंगे दिल में तुझे सजाके जां ना।

जीवन के तर्कों से मुझे कुछ भी लेना देना नहीं
मैंने अपने ख्यालों में ये तुझको समाके जां ना।

होश नहीं है मुझको हाय जब से तुझको देखा है
होश में लादो जब चाहे मुझे पास बुलाके जां ना।

मंगलवार, 18 अगस्त 2009

जब से मिला है तेरा प्यार तब से खिला मेरा संसार



जब से मिला है तेरा प्यार
  तब से खिला है मेरा संसार।
 कसम तेरी मुझे प्यार में तेरे 

    मिलने लगा है चैनो करार॥

दीवाना मुझे तुमने बनाया 

        अपने इस रूप का गोरी
सदा रहे यूँ छायी तुझपे 

      इस रूप की मस्त बहार॥

लगती तुम ऐसे जैसे कोई 

    हो ख्वाब किसी शायर का
तुझे देख-देख कर मचले 

         मेरी तबियत बार-बार॥ 

कैसे करूँ तारीफ तेरी मैं 
        मुझे शब्द नहीं मिलते हैं
तारीफ से तुम हो बहुत परे 

       मेरी हमदम जाने-बहार॥

ऊपर से नीचे तक तुम 

        लगती हो मुझे रेशम सी
तुझे अपने अंग लगाये रखूँ 

     करे अंग-अंग मेरा पुकार॥

खुल गई है किस्मत मेरी 

          तुझे पाकर मेरे दिलवर
 सचमुच ही प्यारा लगने लगा 

      मुझको यह सारा संसार॥ 






रविवार, 16 अगस्त 2009

कोई पी रहा दोस्तों में कोई पी रहा अकेले में

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कोई पी रहा दोस्तों में कोई पी रहा अकेले में
ढूँढ रहा हर कोई साथी दुनिया के इस मेले में। 
एक न एक दिन सकूं उसे मिल जाएगा ज़रूर 
पर सकूं उसे मिलता नहीं दुनियाँ के झमेले में॥  

किसी तरह आनंद न आये तो कोई क्या करे
हर किसी की जुबान पर यही सवाल रहता है। 
कहीं कोई हँसी न उड़ा दे उसके जज्बात की
यही सोचकर वो अक्सर चुपचाप सा रहता है॥ 

आजकल मुहब्बत दिलों से मिटती जा रही है
दुनियाँ अपने आप में ही सिमटती जा रही है।
किसी को भी किसी की परवाह नहीं जहाँ में
पता नहीं ये दुनियाँ कहाँ भटकती जा रही है॥ 

ग़मों से ही खुशियों की पहचान हुआ करती है
खुशियों से ही ग़मों की पहचान हुआ करती है।
बहुत कम ही लोग समझते पाते इस दुनिया में
जिन्दगी चार दिन की महमान हुआ करती है॥

शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

खुश हो के दूसरों का खुश जीवन किया करो


खुश हो के दूसरों का खुश जीवन किया करो।
खाओ पियो पल दो पल प्रहसन किया करो।

सही और ग़लत का फैसला अगर न हो पाय
तो अकेले बैठकर मन में मंथन किया करो।

आप कितने अच्छे हो कितने बुरे हो दोस्त
अपने ही कर्मों का सामने दर्पण किया करो।

इतना कमा कर आखिर कहाँ ले के जाओगे
थोड़ा बहुत असहायों में अर्पण किया करो।

लोग तुमसे बात करने को व्याकुल हो जाए
कुछ आप ख़ुद में पैदा आकर्षण किया करो।

भूल से बहक न जाओ अपनी भावनाओं में
अपने आप पर भी थोड़ा शासन किया करो।

क्यों सिकुड़ कर जी रहे हो आप जिंदगी को
दौलत भी फुर्सत भी तो देशाटन किया करो।

यह मन पवित्रता से दयालुता से भर जाएगा
जो भूखे सोते उनको दान राशन किया करो।

गुरुवार, 13 अगस्त 2009

जलने वाले जला करें आओ मिलके मज़ा करें



जलने वाले जला करें आओ मिलके मज़ा करें।
बनके दीपक बाती रौशन जीवन की शमां करें॥ 

रहकर अकेले जीवन सचमुच जिया नहीं जाए
आओ प्यार में रच बस एक दूजे को जवां करें।

आख़िर हम इंसान हैं गलती हो ही जाया करती
क्यों न छोड़ शिकवे गिले एक दूजे को क्षमा करें।

आज कमाकर आज गंवाया यह भी कोई जीना
बुरे समय के लिए भी जीवन में थोड़ा जमा करें।

कितना भी रोकिये ख़ुद को गुस्सा आ ही जाता
बेहतर होगा सुनने को भी कभी कभी थमा करें।

अकड़ में रहके सुखमय जीवन जिया नहीं जाए
मुहब्बत बढेगी आपस में एक दूजे को नमा करें।


बुधवार, 12 अगस्त 2009

मेरी आँखों की नीदों को उड़ाके वो गए

मेरी आँखों की नीदों को उड़ाके वो गए। 
रिश्ता दिल से दिल का जुडाके वो गए। 

सब कुछ ठीक ही चल रहा था अब तक 
जाने किस बात पे मुँह फुलाके वो गए। 

रूठ भी गए तो मना लेंगे उन्हें प्यार से 
हाय झटक मेरी बहियाँ छुडाके वो गए। 

सोचा गुजार देंगे जीवन यह साथ-साथ 
झुकना तो दूर मुझको झुकाके वो गए। 

मन का दुःख अब किस से कहने जायें 
कसम से तन-मन मेरा दुखाके वो गए




मंगलवार, 11 अगस्त 2009

ज़रा- ज़रा सी बात पर अपने रूठने लगे


ज़रा- ज़रा सी बात पर अपने रूठने लगे।
इसी वजह से आजकल रिश्ते टूटने लगे।

कैसे  निभें  रिश्ते  बताओ  दूर तक भला
अपनत्व  के  सागर  दिलों में सूखने लगे।

कैसे  निकलें  घर  से  माँ  बहिन - बेटियाँ
गली - गली  में  गुंडे  मवाली  घूमने  लगे।

बढ़   रहे  अपराध  दिनों  दिन  समाज में
गुनाह  कर के  लोग  बेगुनाह  छूटने  लगे।

जल्दी  से हर कोई  बनना  चाहता  अमीर
जिसको  मिलता  मौका  जहाँ  लूटने लगे।




रविवार, 9 अगस्त 2009

बंसी बजैया कृष्ण कन्हैया


बंसी बजैया, कृष्ण कन्हैया
आयी हूँ ,तेरे दरबार में
हाँ, आयी हूँ, तेरे दरबार में
कोई नहीं सिवा, तेरे कन्हैया
मेरा इस संसार में
हाँ, मेरा इस संसार में।


तेरी शरण में सुख मिलता है
तन खिलता है, मन खिलता है।
है मुझको भरोसा, तू सुन लेगा
विनती मेरी, एक पुकार में
हाँ, विनती मेरी,एक पुकार में।


मतलब की है, दुनिया सारी
दुनिया जीती है, पर मैं हारी
सुध बुध अपनी, भूल गई मैं
पागल होकर, तेरे प्यार में
हाँ, पागल होकर ,तेरे प्यार में।


बंसी बजैया, कृष्ण कन्हैया
आयी हूँ ,तेरे दरबार में
हाँ, आयी हूँ, तेरे दरबार में
कोई नहीं सिवा, तेरे कन्हैया
मेरा इस संसार में
हाँ, मेरा इस संसार में।




शनिवार, 8 अगस्त 2009

तुम्हारे जितना मुझे कोई भाता नहीं है


तुम्हारे जितना मुझे कोई भाता नहीं है।
तुम्हारे सिवाय नज़र कोई आता नहीं है।

लगता है तुमने भी मुझको दिल दे दिया

वरना यूँ देख के कोई मुस्कराता नहीं है।

मेरी किस्मत मेरे साथ जरूर रही होगी

ऐसे आसानी से प्यार कोई पाता नहीं है।

मुझे बड़ा सकूं मिलता है तेरे ख्यालों में

यूँ ही दिल गीत कोई गुनगुनाता नहीं है।