बुधवार, 4 मार्च 2009

जीने का हल निकाल लिया हम ने



जीने का हल निकाल लिया हमने।
             प्यार का रोग पाल लिया हमने॥ 

वो भी मायूस थे और हम भी 
            दिल से दिल उछाल लिया हमने।

जिन्दगी सलामत है मुहब्बत से ही
        कई तरीकों को खंगाल लिया हमने।

दोनों ही बच गये बरबाद होने से 
           एक दूजे को सभ्हाल लिया हमने





मंगलवार, 3 मार्च 2009

जब से तेरी मुहब्बत मिल गई है।


जब से तेरी मुहब्बत मिल गई है।
         सच कहूँ मुझे जन्नत मिल गई है।

तेरा इस तरह मुझपे फ़िदा होना
        लगे जहाँ की दौलत मिल गई है।

मुझे अब तुझसे जोड़ रहा हर कोई
     हर तरफ़ जैसे शुहरत मिल गई है। 

तेरा प्यार राम बाण औषधि जैसा
     मरते को जैसे मुहलत मिल गई है।

खुदा तेरा भी शुक्रिया साथ ही साथ
    यह खुशी तेरी बदौलत मिल गई है।


सोमवार, 2 मार्च 2009

कभी दो कदम मेरे साथ चलते तो क्या बात थी


कभी दो कदम मेरे साथ 
        चलते तो क्या बात थी। 
कभी दिल से मुझसे बात 
        करते तो क्या बात थी॥ 

दिल की बात जानने की 
    कभी कोशिश न की तुमने
मेंरे हाथों में अपना हाथ 
          धरते तो क्या बात थी।

कभी तो मेंरे दिलवर तुमने 
   मुझे अपनापन दिया होता।
कभी तो मेरे दर्द को तुमने 
 ग़र अपना बना लिया होता।

एक बार भी न पूंछा तुमने 
  कैसा लगता मेरा साथ प्रिये
कभी पास आकर अपने  
     सीने से लगा लिया होता।

अपनेपन के लिए उमर भर 
        तरसी हूँ आस लिए हुए
जीती रही जिन्दगी अपना
   यह चेहरा उदास लिए हुए।

कुए के पास रह कर भी 
  प्यासी रही यह जिन्दगी मेरी
लगता यूँ ही मर जाऊंगी 
   तन-मन की प्यास लिए हुए।



मेरी बातों में क्या रखा है

मेरी बातों में क्या रखा, 
             अपने दिल की बात सुनाओ।
देखें क्या है तकदीर तुम्हारी,
             लाओ अपना हाथ दिखाओ॥ 

आज मिले हो जैसे मुझसे,
             क्या कल भी मिलने आओगे
यहीं मिलोगे या और कहीं,
            होगी कहाँ मुलाकात बताओ।

रोज मिलेंगे दिल से मिलेंगे,
               जहाँ कहोगे हम वहाँ मिलेंगे
पर,जैसे मैं चाहती वैसे,
               गर तुम मेरा साथ निभाओ।

छल-कपट की बात नहीं,
                     देखो अपने इस प्यार में
मेरी इन बातों पर दिलवर,
               क्यों हो गए उदास बताओ।





शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2009

हित दिखाकर भी लोग अहित कर देते हैं


हित दिखा कर भी लोग अहित कर देते हैं।
        अनादर भी कभी आदर सहित कर देते हैं॥ 

दुश्मनों के रूप कौन जान पाया आज तक
          जिस रूप में भी आते व्यथित कर देते हैं। 

चरित्रवान कोई लाख बनना चाहे दुनिया में     
     ऐसे भी लोग हैं जो आकर पतित कर देते हैं। 

कितना भी सोच समझ कर फैसला कर लो
      फ़िर भी राय लो तो लोग भ्रमित कर देते हैं। 

मंगलवार, 24 फ़रवरी 2009

कहने वाले कहते हैं पर कैसे छोड़ दूँ पीना


कहने वाले कहते हैं पर कैसे छोड़ दूँ पीना।
पियूँ नहीं तो कोई बता दे कैसे होगा जीना।
मुझे पी लेने दो,मुझे जी लेने दो
गरेबां चाक हुआ,उसे सी लेने दो
पियूँ नहीं तो कोई बता दे -

तोड़ दिया दिल जिसने मेरा
मोड़ दिया रुख उसने मेरा
लाखों में ही एक थी,दिलवर मस्त हसीना।
पियूँ नहीं तो कोई बता दे---

बहक जाऊँ नहीं होना खफा
पीनेवालों की होती यही अदा
इसी अदा में भाता है,मुझको जीवन जीना।
पियूँ नहीं तो कोई बता दे---

पिऊँ अगर तो पीता रहता
गम को पीकर जीता रहता
जीवन तो पाया मैंने पर,पाई कोई खुशी ना।
पियूँ नहीं तो कोई बता दे---

किससे कहूं दिल का रोना
होगा वही जो होगा होना  
मेंरे संग हुआ जो,हो संग किसी के कभी ना।
पियूँ  नहीं तो कोई बता दे---


गुरुवार, 19 फ़रवरी 2009

चलो आज मिल के कोई गीत गायें


चलो आज मिल के कोई गीत गायें।
      गीत गाकर सभी को ही मीत बनायें।
       चलोआज मिल के कोई गीत गायें।

जीवन की जंग जो लगे हारने 
   अपने आप को जो लगे मारने 
    आज उन्हीं में जीवन की प्रीति जगायें।
        चलो आज मिल के कोई गीत गायें।

आदमी जो सभी से मिल के रहे
    जीवन में सदा वो खिल के रहे
      जीने की सभी को यही रीति सिखाएं।
        चलो आज मिल के कोई गीत गायें।

अपनों से जो कभी रूठते नहीं
      हौसले उनके कभी टूटते नहीं
          रखते जो हौसले वो ही जीत जायें।
            चलो आज मिल के कोई गीत गायें


बुधवार, 18 फ़रवरी 2009

पाने की चाह में खोया बहुत हूँ मैं


पाने की चाह में खोया बहुत हूँ मैं।
     हंसने की चाह में रोया बहुत हूँ मैं॥ 

सागर में मोती हमें भी मिल जायेगे
  इसी लिए खुदको डुबोया बहुत हूँ मैं॥ 

इंसानियत कहीं बिखर ही न जाये
     प्यार में सबको पिरोया बहुत हूँ मैं॥ 

कैसे कहूँ कैसे सही है उसकी जुदाई
     इन आँखों को भिगोया बहुत हूँ मैं॥ 

महक उठे जहाँ फूलों की खुशबू से
    फूलों को सचमुच बोया बहुत हूँ मैं॥ 

ठुकरा करके वो कहीं न चली जाये
  इस लिए नखरों को ढोया बहुत हूँ मैं॥ 

जो जो जब जब होना सो सो तब तब होना है


जो जो जब जब होना है,सो सो तब तब होना।  
बताओ फिर किस बात पर,नीदें अपनी खोना॥  

जो कुछ भी वो करता ठीक ही तो वो करता 
फिर उसकी करनी में दोष तुम्हें क्यों दिखता 
उसका फैसला माने सही फिर क्यों रोना-धोना।  

चाहे कुछ भी सोच लो, चाहे कुछ भी मान लो
उसके आगे एक चले न,बस इतना ही जान लो
मानव चाहे कुछ समझे,पर है वो एक खिलौना। 

उसकी शरण में खुदको सदा डाल के रखना
जो भी करे उसकी मरजी,सदा मान के रहना  
चिंता अपनी उसको दे दो क्यों चिंता को ढोना।  


सोमवार, 16 फ़रवरी 2009

लोक सभा


लोक सभा की कार्यवाही 

सदन की कार्यवाही शुरू हो चुकी थी । लोक सभा स्पीकर ने कहा , मेंबर राम लाल अपना प्रश्न पूंछे । रामलाल– स्पीकर सर, सदन में शोर होने लगा । रामलाल ने फ़िर कहा, मिस्टर स्पीकर सर, सदन में शोर और जोर से होने लगा । स्पीकर ने कहा शान्ति बनाये रखें । 


रामलाल ने अब की बार जोर से बोलते हुए कहा, मिस्टर स्पीकर सर, मैं आपके मध्यम से मैं मन्त्रजी से पूंछना चाहता हूँ गरीबों के …, मिस्टर स्पीकर सर…, मिस्टर स्पीकर सर…, मिस्टर स्पीकर सर…, मिस्टर स्पीकर सर…, मिस्टर स्पीकर सर, मैं आपके मध्यम से…, मिस्टर स्पीकर सर, मैं आपके मध्यम से मिस्टर स्पीकर सर, मैं आपके मध्यम से मंत्री जी से पूंछना चाहता हूँ कि गरीबों के…लिए…। रामलाल चिल्लाते रहे और उनकी आवाज शोर-शराबे में डूबती गई मगर शोर कम नहीं हुआ । बात नहीं सुनी जा रही थी इस पर रामलाल को सदमा सा लगा और टेबल पर धडाम से गिर गए ।एक दम शोर थम गया । 


लोग रामलाल की ओर दौड़ पड़े । किसी ने देखकर कहा , ही इस नो मोर रामलाल इस नो मोर। थोडी देर के लिए सदन में सन्नाटा छा गया । सब एक दूसरे की ओर देखने लगे, सत्ता पक्ष के सदस्य ने दुःख जताते हुए कहा,अब रामलाल हमारे बीच नही रहे । रामलाल एक जुझारू नेता थे वह हमेशा गरीबों के हित के लए संघर्ष करते रहे । इतिहास उन्हें हमेशा याद रखेगा । उनके बताये रास्ते पर आज से हम सब चलेंगे । इतना सुनते ही रामलाल उठ खड़े हुए और कहने लगे मुझे आप सब बोलने नहीं देते । मेरे रास्ते पर खाक चलेंगे । सारा सदन बोल उठा बोलो रामलाल अब बोलो आप कहना क्या चाहते हो? राम लाल बोलो । 


रामलाल बोले । मैं यह पूंछना चाहता हूँ की गरीबों की गरीबी दूर करने के लिए मंत्री जी क्या कर रहे है । सारा सदन एक साथ बोला अरे भाई यह भी कोई मुद्दा है । सदन का बहुमूल्य समय गरीबों के ऊपर बरबाद करना बेवकूफी है । बहुत सारे मुद्दे हैं जिन पर चर्चा होनी चाहिए । रामलाल तो लगता पगला गए हैं । 


अगला प्रश्न, एक मेंबर उठकर बोला सर चाँद पर जाने के लिए सरकार की क्या योजना है । सदन की कारवाही आगे बढ़ गई । गरीबों की कमर की तरह रामलाल की बोली भी टूट कर बिखर चुकी थी । सदन में फ़िर शोर हुआ हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा प्रजातंत्र है, इसकी हर हालत में रक्षा होनी चाहिए । सदन की कारवाही समाप्त हो चुकी थी । सभी अपने-अपने घर के लिए चल दिए.....