जीना मुश्किल है होकर तुमसे जुदा
              पास आ या पास अपने बुला।
याद करो वो गुजरे हुए पल
              तुमने भुलाये मैं दूँ कैसे भुला।
कुछ न पूँछो क्या हाल हुआ मेरा
                तड़प के तन मन मेरा घुला।
थक गयी आँखें देख राहें तेरी
               भरोसे से न मुझे झूला झुला।
कभी तो सोचो बैठ कर अकेले  
   जिंदगियों को उजाड़ने पर क्यों तुला।
बहुत तड़पा लिया मान भी जाओ 
                  बात बात पर मुँह न फुला।
पता नहीं कब छोड़नी पड़े दुनिया
        जीवन तो एक पानी का बुलबुला।
दूरियां जो बनी हैं अपने दरमियाँ
         दोष दोनों का ही रहा मिलाजुला।
