दिल जल रहा मगर धुआं नहीं यारो।
दिल से बना कोई अपना नहीं यारो।
अकेला हूँ अकेला ही सही मैं फ़िर भी
जी लूँगा गर कोई महरबाँ नहीं यारो।
लुटने को लुट रहे हैं बहुत दुनिया में
पर मुझसा लुटा कोई यहाँ नहीं यारो।
सकूँ की तलाश में भटका हूँ उमर भर
जहाँ पे ढूँढा वहाँ पे मिला नहीं यारो।
आरजू थी कि कोई हमसफ़र मिलता
भटकता रहा मैं कहाँ कहाँ नहीं यारो।
सकूँ की तलाश में भटका हूँ उमर भर
जवाब देंहटाएंजहाँ पे ढूँढा वहाँ पे मिला नहीं यारो।
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मचलने लगा मेरे भी दिल मे यादो का सिलसिला यारो
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बहुत सुन्दर लिखा है
दिल जलने पर धुआँ खोजते यही प्रेम परिणाम।
जवाब देंहटाएंमिल जाये गर हमसफर मिल जाता अंजाम।।
बहुत खूब प्रेम भाई।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
दोस्ती का जज़्बा सलामत रहे।
जवाब देंहटाएंमित्रता दिवस पर शुभकामनाएँ।
आरजू थी कि कोई हमसफ़र मिलता
जवाब देंहटाएंभटकता रहा मैं कहाँ कहाँ नहीं यारो।
बहुत खूब ।
सकूँ की तलाश में भटका हूँ उमर भर
जवाब देंहटाएंजहाँ पे ढूँढा वहाँ पे मिला नहीं यारो।
बेहतरीन अभिव्यक्ति बधाई
bahut khoob !
जवाब देंहटाएंलुटने को लुट रहे हैं बहुत दुनिया में
पर मुझसा लुटा कोई यहाँ नहीं यारो।
shabdon ke saath achhi kaari9gari ka udaahrana
badhaai !
Happy Friendship Day!
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ग़ज़लों के खिलते गुलाब
waah........aaj to bahut dardbhari nazm likh di ...........har pankti dil ko choo gayi.
जवाब देंहटाएंएक बार फिर बेहतरीन शेरों से सजी उम्दा ग़ज़ल.
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई.
'अकेला हूँ अकेला ही सही मैं फ़िर भी
जवाब देंहटाएंजी लूँगा गर कोई महरबाँ नहीं यारो।'
- चरैवेति चरैवेति.
आप सभी ब्लोगर मित्रों का मेरा हौसला बढाने के लिए दिल से धन्यबाद!!
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