जलने वाले जला करें आओ मिलके मज़ा करें।
बनके दीपक बाती रौशन जीवन की शमां करें॥
रहकर अकेले जीवन सचमुच जिया नहीं जाए
आओ प्यार में रच बस एक दूजे को जवां करें।
आख़िर हम इंसान हैं गलती हो ही जाया करती
क्यों न छोड़ शिकवे गिले एक दूजे को क्षमा करें।
आज कमाकर आज गंवाया यह भी कोई जीना
बुरे समय के लिए भी जीवन में थोड़ा जमा करें।
कितना भी रोकिये ख़ुद को गुस्सा आ ही जाता
बेहतर होगा सुनने को भी कभी कभी थमा करें।
अकड़ में रहके सुखमय जीवन जिया नहीं जाए
मुहब्बत बढेगी आपस में एक दूजे को नमा करें।
कितना भी रोकिये ख़ुद को गुस्सा आ ही जाता
जवाब देंहटाएंबेहतर होगा सुनने को भी कभी कभी थमा करें।
बिलकुल सही कहा अक्सर हम छोटी 2 बातों मे जीने के कुछ अच्छे पल खो देते हैं सुन्दर रचना आभार्
bahut hi mudde ki baat ko lafzon me dhaala hai
जवाब देंहटाएंpremji, aapka andaaz sabko pasand aanewala hai
badhiya vichar...log to kuch na kuch to kahenge hi..
जवाब देंहटाएंsundar
कितना भी रोकिये ख़ुद को गुस्सा आ ही जाता
जवाब देंहटाएंबेहतर होगा सुनने को भी कभी कभी थमा करें।
अच्छी सीख अच्छी नसीहत दी. बहुत सुन्दर
उत्तम अति उत्तम
जवाब देंहटाएंआख़िर हम इंसान हैं गलती हो ही जाया करती
जवाब देंहटाएंक्यों न छोडके शिकवे गिले एक दूजे क्षमा करें।
ACHHE RACHNA AUR YE PANKTIYAAN TO LAJAWAAB HAIN....KAASH SAB AISAA KAR PAATE....
जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएं( Treasurer-S. T. )
बहुत अच्छी रचना है बधाई।
जवाब देंहटाएंकितना भी रोकिये ख़ुद को गुस्सा आ ही जाता
बेहतर होगा सुनने को भी कभी कभी थमा करें।
अत्यन्त सुंदर! श्री कृष्ण जनमाष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंआप सभी ब्लोगर मित्रों का मेरा हौसला बढाने के लिए दिल से धन्यबाद!!
जवाब देंहटाएं