जीवन में तुमसे ही हैं फूल झरे।
सूरत तेरी आँखों से टारे न टरे॥
कहाँ छुप गए कह कर मिलेंगे
दिल कब से तेरा इंतज़ार करे।
साथ तेरे जो देखे हैं ख्वाब मैंने
ऐसा न हो रह जायें धरे के धरे।
बिन तेरे कैसे होगा जीना मेरा
तेरे बगैर जिन्दगी तारे न तरे।
दुनिया मेरी रंगीन है तुमसे ही
जिन्दगी लगे ही न तुमसे परे।
मेरे सामने ही रहा करो जानम
तेरी दूरियों से दिल बहुत डरे।
दुनिया मेरी रंगीन है तुमसे ही
जवाब देंहटाएंजिन्दगी लगे ही न तुमसे परे।
समर्पित भाव की पंक्तियाँ प्रेम भाई।
मेरे सामने ही रहा करो जानम
जवाब देंहटाएंतेरी दूरियों से दिल बहुत डरे।
बेहतरीन गज़ल है।
बधाई!
मन में हो विश्वास तो दूरियों से क्यों दिल डरे ..!!
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar abhiwyakti ......aap jisase pyar karate hai .....use kho dene ka bhay hamesha bana rahata hai ......yah vi pyar hi hai ......
जवाब देंहटाएंप्यारी रचना..बधाई...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति, आभार्
जवाब देंहटाएंकहाँ छुप गए कहके मिलन की
जवाब देंहटाएंदिल कब से तेरा इंतज़ार करे
KOI BAAT NAHI INTEZAAR MEIN BHI TO MAZA HAI ....... SUNDAR RACHNA ....
प्रेम रस में डूबी रचना...वाह...
जवाब देंहटाएंनीरज
बहुत बढ़िया है!
जवाब देंहटाएंprem ji badhia haiji.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गज़ल...waah
जवाब देंहटाएंवा भई प्रेम जी मनहर जी ने गीत गा दिये इसकी बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया! अत्यन्त सुंदर लगा!
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया, बहुत रोचक रचना है। धन्यवाद
जवाब देंहटाएं'मेरे सामने ही रहा करो जानम
जवाब देंहटाएंतेरी दूरियों से दिल बहुत डरे।'
-ये पंक्तियाँ ही नहीं बल्कि पूरी कविता ही प्रेयसी को भी समर्पित की जा सकती है और ईश्वर को भी.
kyaa baat hai....prem bhaayi....!!
जवाब देंहटाएंआप सभी ब्लोगर मित्रों का मेरा हौसला बढाने के लिए दिल से धन्यबाद!!
जवाब देंहटाएं