मंगलवार, 1 सितंबर 2009

जीवन में तुमसे ही हैं फूल झरे


जीवन में तुमसे ही हैं फूल झरे।
सूरत तेरी आँखों से टारे न टरे॥

कहाँ छुप गए कह कर मिलेंगे 
दिल कब से तेरा इंतज़ार करे।

साथ तेरे जो देखे हैं ख्वाब मैंने
ऐसा न हो रह जायें धरे के धरे।

बिन तेरे कैसे होगा जीना मेरा
तेरे बगैर जिन्दगी तारे न तरे।

दुनिया मेरी रंगीन है तुमसे ही
जिन्दगी लगे ही न तुमसे परे।

मेरे सामने ही रहा करो जानम
तेरी दूरियों से दिल बहुत डरे।

18 टिप्‍पणियां:

  1. दुनिया मेरी रंगीन है तुमसे ही
    जिन्दगी लगे ही न तुमसे परे।

    समर्पित भाव की पंक्तियाँ प्रेम भाई।

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  2. मेरे सामने ही रहा करो जानम
    तेरी दूरियों से दिल बहुत डरे।

    बेहतरीन गज़ल है।
    बधाई!

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  3. मन में हो विश्वास तो दूरियों से क्यों दिल डरे ..!!

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  4. bahut hi sundar abhiwyakti ......aap jisase pyar karate hai .....use kho dene ka bhay hamesha bana rahata hai ......yah vi pyar hi hai ......

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  5. बहुत ही सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति, आभार्

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  6. कहाँ छुप गए कहके मिलन की
    दिल कब से तेरा इंतज़ार करे

    KOI BAAT NAHI INTEZAAR MEIN BHI TO MAZA HAI ....... SUNDAR RACHNA ....

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  7. प्रेम रस में डूबी रचना...वाह...
    नीरज

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  8. वा भई प्रेम जी मनहर जी ने गीत गा दिये इसकी बधाई ।

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  9. बहुत बढ़िया! अत्यन्त सुंदर लगा!

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  10. बहुत बढिया, बहुत रोचक रचना है। धन्यवाद

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  11. 'मेरे सामने ही रहा करो जानम
    तेरी दूरियों से दिल बहुत डरे।'

    -ये पंक्तियाँ ही नहीं बल्कि पूरी कविता ही प्रेयसी को भी समर्पित की जा सकती है और ईश्वर को भी.

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  12. आप सभी ब्लोगर मित्रों का मेरा हौसला बढाने के लिए दिल से धन्यबाद!!

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