मंगलवार, 3 मार्च 2009

जब से तेरी मुहब्बत मिल गई है।


जब से तेरी मुहब्बत मिल गई है।
         सच कहूँ मुझे जन्नत मिल गई है।

तेरा इस तरह मुझपे फ़िदा होना
        लगे जहाँ की दौलत मिल गई है।

मुझे अब तुझसे जोड़ रहा हर कोई
     हर तरफ़ जैसे शुहरत मिल गई है। 

तेरा प्यार राम बाण औषधि जैसा
     मरते को जैसे मुहलत मिल गई है।

खुदा तेरा भी शुक्रिया साथ ही साथ
    यह खुशी तेरी बदौलत मिल गई है।


5 टिप्‍पणियां:

  1. सकारात्मक भाव वाली अनूठी रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें

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  2. जब से तेरी मुहब्बत मिल गई है।

    सच कहूँ मुझे जन्नत मिल गई है।
    " सच कहा मोहब्बत से बडी कहाँ कोई जन्नत होगी.."

    Regards

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  3. जब से तेरी मुहब्बत मिल गई है।सच कहूँ मुझे जन्नत मिल गई है।
    सुन्दर लगी

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  4. बहुत उम्दा रचना प्रेम भाई.

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