बुधवार, 12 अगस्त 2009

मेरी आँखों की नीदों को उड़ाके वो गए

मेरी आँखों की नीदों को उड़ाके वो गए। 
रिश्ता दिल से दिल का जुडाके वो गए। 

सब कुछ ठीक ही चल रहा था अब तक 
जाने किस बात पे मुँह फुलाके वो गए। 

रूठ भी गए तो मना लेंगे उन्हें प्यार से 
हाय झटक मेरी बहियाँ छुडाके वो गए। 

सोचा गुजार देंगे जीवन यह साथ-साथ 
झुकना तो दूर मुझको झुकाके वो गए। 

मन का दुःख अब किस से कहने जायें 
कसम से तन-मन मेरा दुखाके वो गए




12 टिप्‍पणियां:

  1. सोचा गुजार देंगे जीवन यह साथ-साथ
    झुकना तो दूर मुझको झुकाके वो गए।
    सुन्दर ब्यथा कथा और अभिव्यक्ति
    अच्छी रचना

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  2. सोचा गुजार देंगे जीवन यह साथ-साथ
    झुकना तो दूर मुझको झुकाके वो गए।

    सब कर्मों के ही फल हैं।
    बहुत बढ़िया नोक-झोंक रही।

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  3. सब कुछ ठीक ही चल रहा था अब तक
    जाने किस बात पे मुँह फुलाके वो गए

    आशिक की फितरत को बाखूबी उतार है आपने अपनी रचना में............ उम्दा, लाजवाब

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  4. waah premji

    jiyo
    jiyo
    bahut badhaai is umda rachnaa ke liye.........

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  5. आओ प्यार में रच बस एक दूजे को जवां करें।
    प्यार मेम रचे बसे लोग वाकई जवां रहते हैं कभी बूढे नहीं होते,सुन्दर सही सोच
    श्याम सखा श्याम

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  6. आप सभी ब्लोगर मित्रों का मेरा हौसला बढाने के लिए दिल से धन्यबाद!!

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