गुजरा वक्त कभी वापस न आए
चाहे कोई चीखे और चिल्लाए
गुजरा वक्त कभी वापस न आए
कर के देख ले चाहे कोई उपाए
गुजरा वक्त कभी वापस न आए
झड़े फूल कभी खिलते नहीं हैं
गए लोग कभी मिलते नहीं हैं
चाहे फिर कोई सारी उमर बुलाए
गुजरा वक्त कभी वापस न आए
मना लो उनको जो रूठे हैं
मिला लो उनको जो छूटे हैं
ऐसा न हो फ़िर यह मन पछताए
गुजरा वक्त कभी वापस न आए
वक्त कभी भी रुका नहीं है
किसी के आगे झुका नहीं है
वक्त का पहिया आगे बढ़ता जाए
गुजरा वक्त कभी वापस न आए
प्रेम फर्रुखाबादी