एक नहीं मैंने कई एक झटके खाये है।
तब कहीं जाकर यहाँ तक पहुँच पाए हैं॥
उमर भर उनके सिर्फ नखरे ही उठाते रहे
तब कहीं जाकर के दोस्त वो मुसकराये हैं॥
गर मिले गये वो तो शुक्रिया खुदा का
वरना अगले जन्म की दोस्त आस लगाये हैं॥
मेरी साँसे इस बात की गवाह बनी हुई
बस वो ही वो मेरी साँसों में समाये हैं॥