नफ़रत करने की तो वो सारी हदें ही तोड़ दिए।
अपना रुख मोड़ के मेरा जीवन ही मोड़ दिए॥
भूल कर भी कोई किसी का इतना बुरा न चाहे
अपनों की खातिर अपनी आँख ही फोड़ लिए॥
ऐसे लोग जहाँ कहीं भी देखे मुझे समझ न आये
बड़े प्यार से मैंने उनसे अपने हाथ ही जोड़ लिए॥
सभी अपने मन के मिलें ऐसा हो ही नहीं सकता
मन के तो मैंने अपनाए बे-मन के वहीं छोड़ दिए॥