मैंने उसे किया कभी मना ही नहीं।
मगर उसने मुझे कभी छुआ ही नहीं॥
उसका अंदाज ही जहाँ से निराला लगे
वैसा कोई मुझे कभी लगा ही नहीं।
बना रहता वो हर पल मेंरे सामने
फ़िर भी मन कभी भरा ही नहीं।
समाया हुआ है मुझमें उसका ही नशा
उसके नशा जैसा कोई नशा ही नहीं।