गुरुवार, 3 सितंबर 2009

ये गोरे गोरे गाल तेरे लिए


ये गोरे-गोरे गाल तेरे लिए
ये काले-काले बाल तेरे लिए

तू  है   मेरा   मैं  हूँ  तेरी
ये प्यारे सारा माल तेरे लिए

ये गोरे-गोरे गाल तेरे लिए 

तेरे लिए मैं खुद को सजाती
जैसा तू चाहे मैं वैसा बनाती
तेरी  मस्ती  में  ही  मदमाती 
ये मस्ती भरी चाल तेरे लिए

ये  गोरे-गोरे  गाल  तेरे  लिए 

तुझसे ही मेरी खुशियाँ हैं जांना
तुझसे ही मेरी दुनियाँ हैं जांना
मैं 
 तेरी दीवानी तू मेरा दीवाना
है य़े  दीवानी   बेहाल  तेरे लिए

ये  गोरे - गोरे  गाल  तेरे  लिए 

मेरे दिल का तू है शहजादा
मैं तेरी रानी तू मेरा राजा
आ जा मेरे दिल में समाजा

दूँगी खुदको उछाल तेरे लिए
ये गोरे-गोरे गाल तेरे लिए 





11 टिप्‍पणियां:

  1. वाह..प्यार में सब कुछ कुर्बान..
    बढ़िया गीत

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  2. बहुत बढ़िया लिख रहे हो।
    कलम रुकनी नही चाहिए।
    जिन्दाबाद।

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  3. .....प्रेम भाई...मैं पाखंडी नहीं...इसलिए आपकी इस कविता की तारीफ कतई नहीं कर सकता....क्यूंकि मैंने आज आपकी खूब साड़ी रचनाएं देखीं....लेकिन ये रचना आपकी सबसे हलकी रचना है....और आप खुद भी इसे दुबारा पढो तो शायद समझ भी लो....बाकि अगर आपको बुरा लगा हो तो क्षमा....लेकिन यह क्षमा भी सिर्फ आपको बुरा लगने के कारण....आपकी इस रचना की आलोचना के कारण नहीं....!!

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  4. आप सभी ब्लोगर मित्रों का मेरा हौसला बढाने के लिए दिल से धन्यबाद!!

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  5. दूंगी खुद को उछाल तेरे लिये अद्भुत प्रयोग ?

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