शनिवार, 9 जनवरी 2010

दूरी तेरी अब सही नहीं जाती

दूरी तेरी अब सही नहीं जाती।
बात दिल की कही नहीं जाती॥ 
समझ सको तो समझ जाओ न 
देखो मुझे अब और तरसाओ न॥

जो भी देखता पागल कहता है
चाह में मुझे घायल समझता है।
जो भी समझे समझे ये जमाना
मुश्किल बड़ा बिन तेरे जी पाना।

किसी से लेता कोई भी सलाह
न सुनता न करता कोई परवाह। 
दिल की बात को दबाये रहता हूँ
दिल ही जानता कैसे सहता हूँ।

न जाने तुम क्यों खफा हो गए
कहो प्रिये क्यों बेवफा हो गए।
मेरा कसूर बताओ कम से कम
कहीं निकल ना जाये मेरा दम।

बहुत हो चुका मान भी जाओ
हालत दिल की जान भी जाओ।
माफ़ करने वाले बहुत बड़े होते 
माफ़ी देने से वो छोटे नहीं होते।

दूरी तेरी अब सही नहीं जाती।
बात दिल की कही नहीं जाती॥ 
समझ सको तो समझ जाओ न 
देखो मुझे अब और तरसाओ न॥