शनिवार, 5 जून 2010

जीना मुश्किल होके तुमसे जुदा


जीना मुश्किल है होकर तुमसे जुदा
          पास आ या पास अपने बुला।
याद करो वो गुजरे हुए पल
              तुमने भुलाये मैं दूँ कैसे भुला।

कुछ न पूँछो क्या हाल हुआ मेरा
         तड़प के तन मन मेरा घुला।
थक गयी आँखें देख राहें तेरी
            भरोसे से न मुझे झूला झुला।

कभी तो सोचो बैठ कर अकेले
   जिंदगियों को उजाड़ने पर क्यों तुला।
बहुत तड़पा लिया मान भी जाओ 
          बात बात पर मुँह न फुला।

पता नहीं कब छोड़नी पड़े दुनिया
      जीवन तो एक पानी का बुलबुला।
दूरियां जो बनी हैं अपने दरमियाँ
   दोष दोनों का ही रहा मिलाजुला।