जो मीठे दो बोल बोलना सीख गया।
जीवन में रस वो घोलना सीख गया॥
खुशी खुशी खुशी बांटना आसान नहीं
इन्सान आखिर इन्सां है भगवान नहीं
जो टूटे दिल को जोड़ना सीख गया।
जीवन में वो रस घोलना सीख गया॥
कब कैसे अपनों गैरों से पेश आना है
उसका होके अपने अनुरूप बनाना है
जो अपने ही बोल तोलना सीख गया।
वो जीवन में रस घोलना सीख गया॥
कौन जिसको किसी ने नहीं ठुकराया
कौन ऐसा जिस पर दुःख नहीं आया
जो दुःख से मुख मोड़ना सीख गया
वो जीवन में रस घोलना सीख गया॥