बुधवार, 10 फ़रवरी 2010

याद में यार की चाह में प्यार की


याद में यार की चाह में प्यार की

यह मेरा दिल है, जो जल रहा है
दिल के सिवा जलता भी क्या है
इसके सिवा और होता भी क्या है
याद में यार की चाह में प्यार की
यह मेरा दिल है, जो जल रहा है ...

उसके ही ख्यालों में खोया रहूँ 
उसको ही ख्वाबों में देखा करूँ
चाहे सुबह हो या चाहे हो शाम
उसके ही दिलसे मैं सोचा करूँ
रहे हालत दिल की बेकरार सी
याद में यार की चाह में प्यार की
यह मेरा दिल है जो जल रहा है ...

धड़कन दिल की बढ़ जाती है
तबियत भी मेरी घबडाती है
चढ़ जाती है मस्ती सी मुझपे 
मस्ती में दिल को तडपाती है
तड़प के मैंने दिल से पुकार की 
याद में यार की चाह में प्यार की
यह मेरा दिल है जो जल रहा है ...

कोई बताये क्या मिलने का रास्ता
तुम सभी को अपने रब का वास्ता
समझ में मेरे कुछ भी आता नहीं है
देना जबाव कोई मेरी इस बात का
तुम सबको कसम परवरदिगार की
याद में यार की चाह में प्यार की
यह मेरा दिल है जो जल रहा है ...