सोमवार, 16 फ़रवरी 2009

लोक सभा


लोक सभा की कार्यवाही 

सदन की कार्यवाही शुरू हो चुकी थी । लोक सभा स्पीकर ने कहा , मेंबर राम लाल अपना प्रश्न पूंछे । रामलाल– स्पीकर सर, सदन में शोर होने लगा । रामलाल ने फ़िर कहा, मिस्टर स्पीकर सर, सदन में शोर और जोर से होने लगा । स्पीकर ने कहा शान्ति बनाये रखें । 


रामलाल ने अब की बार जोर से बोलते हुए कहा, मिस्टर स्पीकर सर, मैं आपके मध्यम से मैं मन्त्रजी से पूंछना चाहता हूँ गरीबों के …, मिस्टर स्पीकर सर…, मिस्टर स्पीकर सर…, मिस्टर स्पीकर सर…, मिस्टर स्पीकर सर…, मिस्टर स्पीकर सर, मैं आपके मध्यम से…, मिस्टर स्पीकर सर, मैं आपके मध्यम से मिस्टर स्पीकर सर, मैं आपके मध्यम से मंत्री जी से पूंछना चाहता हूँ कि गरीबों के…लिए…। रामलाल चिल्लाते रहे और उनकी आवाज शोर-शराबे में डूबती गई मगर शोर कम नहीं हुआ । बात नहीं सुनी जा रही थी इस पर रामलाल को सदमा सा लगा और टेबल पर धडाम से गिर गए ।एक दम शोर थम गया । 


लोग रामलाल की ओर दौड़ पड़े । किसी ने देखकर कहा , ही इस नो मोर रामलाल इस नो मोर। थोडी देर के लिए सदन में सन्नाटा छा गया । सब एक दूसरे की ओर देखने लगे, सत्ता पक्ष के सदस्य ने दुःख जताते हुए कहा,अब रामलाल हमारे बीच नही रहे । रामलाल एक जुझारू नेता थे वह हमेशा गरीबों के हित के लए संघर्ष करते रहे । इतिहास उन्हें हमेशा याद रखेगा । उनके बताये रास्ते पर आज से हम सब चलेंगे । इतना सुनते ही रामलाल उठ खड़े हुए और कहने लगे मुझे आप सब बोलने नहीं देते । मेरे रास्ते पर खाक चलेंगे । सारा सदन बोल उठा बोलो रामलाल अब बोलो आप कहना क्या चाहते हो? राम लाल बोलो । 


रामलाल बोले । मैं यह पूंछना चाहता हूँ की गरीबों की गरीबी दूर करने के लिए मंत्री जी क्या कर रहे है । सारा सदन एक साथ बोला अरे भाई यह भी कोई मुद्दा है । सदन का बहुमूल्य समय गरीबों के ऊपर बरबाद करना बेवकूफी है । बहुत सारे मुद्दे हैं जिन पर चर्चा होनी चाहिए । रामलाल तो लगता पगला गए हैं । 


अगला प्रश्न, एक मेंबर उठकर बोला सर चाँद पर जाने के लिए सरकार की क्या योजना है । सदन की कारवाही आगे बढ़ गई । गरीबों की कमर की तरह रामलाल की बोली भी टूट कर बिखर चुकी थी । सदन में फ़िर शोर हुआ हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा प्रजातंत्र है, इसकी हर हालत में रक्षा होनी चाहिए । सदन की कारवाही समाप्त हो चुकी थी । सभी अपने-अपने घर के लिए चल दिए.....



5 टिप्‍पणियां:

  1. गहरा कटाक्ष है व्यवस्था पर...बहुत सही!!

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  2. गरीबों की कमर की तरह राम लाल की बोली भी टूट कर बिखर चुकी थी । ............यही होता है सच के साथ टूट जाता है बिखर जाता है.......भावनात्मक स्तर पर मन को छु जाने वाला आलेख. मेरी हौस्लाफ्जाही करने का आभार..

    Regards

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