वो सामने से गुजरते हैं मुझको देखते हुए।
नजर-नजर मिला के दिल को फेंकते हुए॥
मेरी समझ में तो कभी कुछ आया ही नहीं
जाने उन्हें क्या मिलता मुझको छेड़ते हुए।
बात करना चाहो तो बात ही नहीं करते वो
अब मुझे भी मज़ा आता है उन्हें हेरते हुए।
हिम्मत जुटा के एक दिन मैंने कह ही दिया
आओ दोनों ही जिन्दगी गुजारें खेलते हुए।
नहीं-नहीं ऐसा नहीं हो सकता है वो बोले
पाने से अच्छा पाने को पापड़ बेलते हुए।