शनिवार, 2 मई 2009

आज की शाम चलो मेरे संग ना


आज की शाम चलो मेरे संग ना।
   खा पी कर के लगो मेरे अंग ना॥

झूमेंगे गायेंगे मस्ती मनाएंगे
    जहाँ भी कहोगे वहीं घुमाएंगे
वादा रहा करूंगा तुझको तंग ना॥

आंखों में अपनी आँखें होगी 
         बाँहों में अपनी बाहें होगी  
प्यार के सिवा होगी कोई जंग ना॥

तेरा असर ऐसा कहूँ कैसा
    तेरे आगे क्या रूपया पैसा
 तेरे सिवा मुझपे चढ़े कोई रंग ना॥ 

तुझसे ही है जीवन मेरा
        सब कुछ मेरा अब है तेरा 
 हो न जुदा कभी तेरा मेरा ढंग ना

4 टिप्‍पणियां:

  1. इतनी गरमी में सावनी रोमांटिक गीत. बेहतरीन!!

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  2. अच्छी प्रस्तुति।

    अजब समर्पण गीत में गजब प्रेम की चाह।
    आँखों से आँखे मिले चले एक ही राह।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  3. achcha sandes diya hai aapne apne jeevansathi ko...........bahut badhiya.

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  4. purn samrpan bhavo se hi vyakt ho jata hai jo apke bhavo se ho raha hai.vaake.....acchi rachana.

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