रविवार, 17 मई 2009

उसका आ के वापस जाना अच्छा नहीं लगता


उसका आ के वापस जाना अच्छा नहीं लगता।
 उसके बिना तो मौसम सुहाना अच्छा नहीं लगता॥

दर्द जुदाई का क्या समझेगा यह बेदर्द जमाना
     ऐसे में समझाना किसी का अच्छा नहीं लगता॥

जो होना था हुआ और कर भी क्या सकते हैं 
   चुप बैठ कर पछतावा करना अच्छा नहीं लगता॥ 

लाख कोशिशें की मैंने दिल को बहलाने की
    किसी तरह का कोई बहाना अच्छा नहीं लगता॥ 


 

9 टिप्‍पणियां:

  1. पहली पंक्ति पढ़कर ऐसा लग रहा है कि
    "उसका आना" और "आकर जाना",
    दोनों ही अच्छे नहीं लगते!

    बुरा न मानते हों,
    तो एक बात और कहूँ ... ... .

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  2. ऐसे ही होता है ..पर क्या करें अब उन्हें याद करना भी अच्छा नहीं लगता...

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  3. बहुत सुन्दर रचना और भाव!!

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  4. रावेंद्रकुमार रवि जी ,
    सर्व प्रथम आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
    मगर मुझे ऐसा क्यों लगता कि टिप्पणी
    आपने अधूरी छोड़ी है.मेरा
    मतलब बस इतना है कि किसी का
    आना और आकर का मतलब
    आने के बाद "जाना" अच्छा नहीं लगता.

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  5. "उसके बिना मौसम सुहाना अच्छा नहीं लगता।"
    बहुत सुन्दर रचना।
    बधाई।

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  6. रवि जी को मेल करके पूछो-
    कुछ कहना चाहते है।

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  7. लाख कोशिश की दिल को बहलाने की मैंने पर
    किसी तरह भी कोई बहाना अच्छा नहीं लगता। boht hi dil ko chhune wale ahsaas hai...

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