मंगलवार, 5 मई 2009

तेरा गरूर तुझको मिटा देगा


तेरा गरूर तुझको मिटा देगा।
जो नहीं देखा वो दिखा देगा॥ 

हैवान की जगह इंसान बनो 
गुलदस्ते की तरह खिला देगा।  

गैरों से सबक ले बदला न ले 
सबक शान्ति,बदला सजा देगा।

तू इन्सान ही बन खुदा न बन
तुझे हर एक जगह जमा देगा।

उसकी मार दिखायी नहीं देती 
उससे डर नहीं तो वो डरा देगा।

तू कुछ भी नहीं है उसके आगे
पहले झुक नहीं तो झुका देगा।

अपने प्रभु की पूजा किया कर
वो तुझे सब कुछ ही दिला देगा।

11 टिप्‍पणियां:

  1. तू कुछ भी नहीं है उसके आगे
    पहले झुक नहीं तो झुका देगा।


    -एक अच्छी रचना!! बधाई.

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  2. तू इन्सान ही बन खुदा न बन
    खुदा बनेगा तो वो खुदा देगा।

    बहुत खूब प्रेम भाई। किसी ने कहा है कि-

    मशवरा है बड़े खुलूस के साथ,
    दूसर के दुखों में काम आओ।
    तुम फरिश्ता तो बन नहीं सकते,
    कम से कम आदमी तो बन जाओ।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  3. आपके कमेंट्स अच्छे लगे . धन्यबाद.

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  4. उसकी मार तू देख नहीं सकता
    उस से डर नहीं तो वो डरा देगा।
    सच्ची बात कही है अपनी ग़ज़ल में....बहुत खूब जनाब.
    नीरज

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  5. हैवान की जगह इंसान बन
    चहुँ ओर खुशी का सिला देगा।

    वाह, बहुत खूब.

    ऐसे कुछ पवित्र भाव मेरे भी ब्लॉग पर हैं.

    चन्द्र मोहन गुप्त

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  6. प्रिय बन्धु
    जय हिंद
    साहित्य हिन्दुस्तानी पर पधारने के लिए धन्यवाद और अपनी आमद दर्ज कराने का शुक्रिया
    अगर आप अपने अन्नदाता किसानों और धरती माँ का कर्ज उतारना चाहते हैं तो कृपया मेरासमस्त पर पधारिये और जानकारियों का खुद भी लाभ उठाएं तथा किसानों एवं रोगियों को भी लाभान्वित करें

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