रविवार, 10 अक्तूबर 2010

भरोसा कर देख लिया हर कोई झूठा है


भरोसा कर देख लिया हर कोई झूठा है।
            भरोसे में लेकर मुझे हर कोई लूटा है॥

लोग कहते हैं कुछ मगर करते हैं कुछ
           इसलिए हर किसी से हर कोई रूठा है।

देने की जगह सब लेने पर तुले हुए
          इसी वजह आज रिश्ता हर कोई टूटा है।

अच्छाई की जगह पर बुराई कायम हो गयी
          तभी तो अपनों से हर कोई छूटा है।

5 टिप्‍पणियां:

  1. देने की जगह सब लेने पर ही तुले हुए
    इसी कारण रिश्ता आज हरकोई टूटा है।
    यथार्थ दर्शाती रचना

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  2. सच फ़रमाया आपने प्रेम जी !

    आज सम्बन्ध नाम मात्र के रह गये हैं क्योंकि स्वार्थ सब पर हावी है ...हालांकि स्वार्थ बुरा नहीं है लेकिन केवल और केवल स्वार्थी होना अच्छी बात नहीं है

    उम्दा रचना कही आपने...उत्तम पोस्ट !

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  3. देने की जगह सब लेने पर ही तुले हुए
    इसी कारण रिश्ता आज हरकोई टूटा है। ...

    रिश्तों की सच्चाई लिखी है आपने ...

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  4. bahut acha likha hai apne.... mein to apka PANKHA bann gya hun Prem ji!

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