रविवार, 16 मई 2010

जो मीठे दो बोल बोलना सीख गया

जो मीठे दो बोल बोलना सीख गया।
        जीवन में रस वो घोलना सीख गया॥

खुशी खुशी खुशी बांटना आसान नहीं
      इन्सान आखिर इन्सां है भगवान नहीं
जो टूटे दिल को जोड़ना सीख गया।
       जीवन में वो रस घोलना सीख गया॥ 

कब कैसे अपनों गैरों से पेश आना है
     उसका होके अपने अनुरूप बनाना है
जो अपने ही बोल तोलना सीख गया।
       वो जीवन में रस घोलना सीख गया॥ 

कौन जिसको किसी ने नहीं ठुकराया
     कौन ऐसा जिस पर दुःख नहीं आया
जो दुःख से मुख मोड़ना सीख गया
     वो जीवन में रस घोलना सीख गया॥ 



11 टिप्‍पणियां:

  1. जो टूटे दिल को जोड़ना सीख गया।
    वो जीवन में रस घोलना सीख गया।

    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ

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  2. वाह! बेहतरीन पंक्तियाँ!

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  3. waah waah..................

    bahut hi umda likha bhai...

    itte din kahan the ?

    aanand a gaya .................

    jai ho !

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  4. जो मीठे दो बोल बोलना सीख गया।
    वो जीवन में रस घोलना सीख गया। ....
    सत्य वचन...
    अगर इंसान ऐसा करना सीख जाए
    तो इंसानियत का रूप निखर जाए....

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  5. अच्छी सीख के साथ बात कही ।
    प्रशंसनीय ।

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  6. अच्छी सीख के साथ बात कही ।
    प्रशंसनीय ।

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  7. जो मीठे दो बोल बोलना सीख गया
    वो जीवन में रस घोलना सीख गया ...

    सहज सरल रचना ... बेहतरेन रचना ...

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  8. बढ़िया सबक देती बहुत सुन्दर रचना!
    राम-राम!

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  9. Prem ji,
    Kia kahna hai , vah bhai vah!
    Bahut hee sunder rachna. Dil ko chu lene vali.
    Vese to har panktee hee khuub hai.Par yeh to kuch jyada hee dil ko chu gaee....

    जो दुःख से मुख मोड़ना सीख गया।
    वो जीवन में रस घोलना सीख गया।
    Yahee zindgaee ka aslee ' Meaning' hai.
    Hardeep
    http://shabdonkaujala.blogspot.com

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  10. आप सभी का मेरे ब्लॉग पर
    आने के लिए दिल से आभार.

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