उसके प्यार का तम्बू ही उजड़ गया।
तम्बू  ही नहीं बम्बू भी उखड गया॥
सदमा ए गम वो झेल नहीं पाया
उसका सारा हाल ही बिगड गया। 
कैसे लौट पायेगा अपने हाल में
दिल से उसका दिल ही हड़ गया।
कौन जाने अब क्या होगा आगे
हाल देख कर होश ही उड़ गया।
जीना चाहता था वो अपने ढंग से
मगर जीवन का रुख ही मुड़ गया।
लगे न प्रेम रोग कभी किसी को
बेचारा प्रेम चाह में ही कुड़ गया।
 
