शनिवार, 10 जुलाई 2010

हित को दिखाके भी लोग अहित कर देते हैं


हित को दिखाके भी लोग अहित कर देते हैं।
       अनादर कभी कभी आदर सहित कर देते हैं।

दुश्मनों के रूप कौन जान पाया आज तलक
       जिस रूप में भी वो आते व्यथित कर देते हैं।

चरित्रवान कोई लाख बनना चाहे दुनिया में
       ऐसे भी लोग जो बहकाके पतित कर देते हैं।

कितना भी सोच समझ कर फैसला कर लो
        फ़िर भी राय लो तो लोग भ्रमित कर देते हैं।

दिल लागने वाले दिल जीत ही लिया करते
        ऐसे मोहित करते वो कि चकित कर देते हैं।

मतलब निकाला चल दिये पराया बना कर
        जीवन देकर भी जीवन से रहित कर देते हैं।




6 टिप्‍पणियां:

  1. अनादर कभी कभी आदर सहित कर देते हैं।
    वाह वाह , आज का नया प्रयोग भला लगा ।
    सुन्दर रचना ।

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  2. चरित्रवान कोई लाख बनना चाहे दुनिया में
    ऐसे भी लोग जो बहकाके पतित कर देते हैं।
    सच बयान कर दिया आपने
    खूबसूरत रचना

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  3. हित को दिखाके भी लोग अहित कर देते हैं।
    अनादर कभी कभी आदर सहित कर देते हैं।

    Bahut khoob ... sach baat kahi hai .. aksar aisa hota hai ...

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  4. चरित्रवान कोई लाख बनना चाहे दुनिया में
    ऐसे भी लोग जो बहकाके पतित कर देते हैं।
    प्यारा मनभावन गीत।
    आनन्द आ गया

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  5. Prem ji, Ati sunder kavita hai. Blog par aane ke liye aur TippaNi ke liye hanyawaad.

    -Meena

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  6. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (01-01-2020) को   "नववर्ष 2020  की हार्दिक शुभकामनाएँ"    (चर्चा अंक-3567)    पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    नव वर्ष 2020 की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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