1.
शाहजहाँ की औलाद लगें सब ताज देखने वाले इसी लिए अपने माँ बाप की कब्रें देखने जाते हैं।
उनको डर लगता है अपने माँ बाप की कब्रों से
पर ताजमहल देखने को वो फूले नहीं समाते।
शासन -प्रशासन की तो बस दाद ही देनी चाहिए
जो कब्रों को दिखा कर रोज़ खूब मुद्रा कमाते हैं।
कभी अकेले बैठ सोचिये ताज महल देखने वालो
भले घरवालों को कभी कब्रस्तान नहीं ले जाते हैं।
2.
घर से चली वो जब ही अपने दफ्तर को
घर से चली वो जब ही अपने दफ्तर को
बीच राह में बरसो पानी बड़ी जोर है।
ऊपर से नीचे तक भीग गए सारे अंग
सारा बदन पानी में हुआ सराबोर है।
अंग-अंग झलक उठे मस्ती टपक पड़ी
लोगों की मस्ती का न रहा ओऱ छोर है।
खुदको ही देख वो लजाई अपने आप में
दबे पांव चुपचाप चली घर ओऱ है।
जैसे वो भूले हमें वैसे ही मैं भी भूल गई
पर जब से सावन आयो मन तरसत है।
ठंडी - ठंडी हवा चले तन पर फुहार पड़े
पिया से मिलन की मेरी बड़ी हसरत है।
जब जब चमके हाय बादलों में बिजली
बिजली की कड़क संग दिल धडकत है।
बदन पर पानी गिरे गिरते ही जल जाए
दैया ऐसे आग मेरे अंग-अंग दहकत है।
3.
किसानो के मसीहा और दलितों के सहारा
केवल चौधरी चरण सिंह हिन्दोस्तां में थे।
शोषण के खिलाफ उनका कडा विरोध था
सुधारकों की वो एक महान दास्ताँ में थे।
किसानो का दुःख वो समझते थे दिल से
क्योंकि हिन्दोस्तां के वो एक किसां में थे।
शोषण प्रेमी और अत्याचारी थे चारों ओर
पता न था उन्हें वो एक ऐसे जहाँ में थे।
4.
यह रचना तब लिखी गई
जब वह प्रधानमंत्री थे।
भारत को किसी से कोई खतरा नहीं प्यारे
क्योंकि अब शासन अटल जी के हाथ है।
उनकी सूझ-बूझ जग से ही निराली लगे
देख कर हर कोई कहे वाह क्या बात है।
दांतों तले ऊँगली दबाली है विरोधियों ने
अजीब यह शख्श सब को दे रहा मात है।
बड़ा ही कठिन आंकना उनकी महानता को
जिधर रुख करें उधर टलती मुशकिलात है।
5.
ऊधौ उठि जावो अब तुम हमारे यहाँ से
ऐसी बातें करत तुम्हें न शरम आवे।
हमारे तो हिय कन्हैया की मूरत बसी है
ब्रह्म उपासना हमें कौन जतन भावे।
गोपियाँ तो ऊधौ से खिसियाती जाती हैं
पर ऊधौ ज्ञान गठरी खोलत ही जावे।
कहे प्रेम बोली मिलि गोपियाँ सब ऊधौ से
अंधी तब जाने जब भरि बाँहों में आवे।
6.
हम हैं आलसी राम।
कोई कहे कुछ करने को, तो करते नहीं हम काम।
बिना करे मन का हो जाए, सोचूँ यही दिल थाम॥
घिरा रहूँ हँसीनों से,और चलते रहें जाम पर जाम।
देख हमें हर कोई पहिचाने, हो ऐसा हमारा नाम॥
रहने को घर ऐसा मिले, जिसे कहते हों सब धाम।
कदम हमारे चूमें खुशी, चाहे हो सुबह चाहे शाम॥
7.
पिछले कर्मों का ही है,यह जीवन परिणाम।
कोई पाए दुःख यहाँ, तो कोई सुखधाम॥
**********************************
धीरज धारण जो करे, चले समय के साथ।
साथ -साथ उसके चले, हर पल दीनानाथ॥
**********************************
जीवन जीना कठिन है, मिलना है आसान।
परहित में तन-मन लगा,मत घबरा नादान॥
***********************************
तेरा जीवन पूर्ण है, रखना इसको पूर्ण।
पूर्ण में दिख जाएगा, तुझको यहाँ सम्पूर्ण॥
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अपने-अपने समय पर, आते जग में लोग।
अपने-अपने समय पर, जाते जीवन भोग॥
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बनें और बिगड़े यहाँ, जीवन का यह खेल।
बेहतर होगा मित्र यह , रखे सभी से मेल॥
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शुभता से शुभ कर्म हों, शुभता रखिये पाल।
शुभता से ही शुभ फलें,इतना रखिये ख्याल॥
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दुष्ट की है कितनी उमर, कह ना पाया कोय।
दुष्टता ही ले डूबती, सब कुछ अपना खोय॥
1.
बड़े दिनों बाद पायी,चिठिया उनकी आज।
सच पूछो तो खुल गये,अब तो मेरे भाग॥
अब तो मेंरे भाग, इसको पढ़ के सुनाओ।
क्या-क्या लिखा इसमें,सहेली जल्दी बताओ॥
कहे ' प्रेम' कविराय, देखो न हो बेकरार।
कल आ रहे हैं वो, और भेजा तुझे प्यार॥
2 .
सुन कर इतनी वो बात,खुश इतनी हो गई।
जाने कब सुहाने से, ख्यालों में खो गई॥
ख्यालों में खो गई,चिठिया दिल से लगाये।
बोली खुशी से वो, कल होगा मिलन हाये॥
कहे प्रेम कविराय मिलन अब होगा उनका।
देर तक सोयेंगे, मिलन करके बेखटका॥
3.
लड़के का बाल बढ़ाना,लड़की बाल कटाना।
यह सूचक है इ़सका, बदल रहा ज़माना॥
बदल रहा जमाना, जाने क्या न हो जाये।
लड़के लड़के साथ, कहीं शादी न हो जाए॥
कहे प्रेम कविराय, होगा अफ़सोस भाई।
सुहागरात की रात करेंगे,जम के दोनों लडाई॥
4.
यह कविता १९८४ में लिखी थी
जब घरों में टीवी बहुत कम हुआ करते थेll
वो इतने सुन्दर नहीं हैं, जितनी सुंदर बीवी।
बीवी की बदौलत ही, दिखाते सब टीवी॥
दिखाते सब टीवी, बड़े प्रेम से बुलाते।
कभी शरमाते हैं, कभी चुटकले सुनाते ll
कहे प्रेम कविराय खुश वो देख के टीवी।
टीवीवाले भी खुश देख के उनकी बीवी ll
5. .
आवहु तुम्हें बतावें अपने दिल की बात सहेली।
करवट बदल बदल कर रात लेटी रही अकेली॥
रात लेटी रही अकेली सहेली मैं बिना पिया के।
विरह के बस हो गए टुकड़े मेरे लाख जिया के॥
कहे प्रेम कविराय सहेली कुछ तो जतन बतावहु।
तुम ही को लें भर भेंट सहेली पास में आवहु॥
6.
काका जी का रोज़ पढ़े,जो भी कुंडलिया छंद।
वो चिंता न बिल्कुल करे,बस हो जाए निद्वंद॥
बस हो जाए निद्वंद, करे खुशियों का अनुभव।
फ़िर जो भी काम करे, काम हो जाये सम्भव॥
कहे प्रेम कविराय लगाओ भइया खूब ठहाका
खुशियों के दाता हैं भारत के हाथरसी काका॥
7.
कथनी और करनी में, जिसके अंतर होय।
देखो उससे सयाना, इन्सां नहीं है कोय॥
इन्सां नहीं है कोय, देख मौका जो बदले।
किसमें इतनी लियाकत, जो उसको पढ़ले॥
कहे"प्रेम"कविराय ये, है उसकी खासियत।
बातें सिर्फ करे मगर, है नहीं इंसानियत॥
8.
चूड़ी पहनन को सखी, इक दिन गयी बजार।
मसलत-मसलत हाथ को,मस्त हुआ मनिहार॥
मस्त हुआ मनिहार,मस्त तो मैं भी कम न थी।
कुछ भी कहे कोई, दोनों में ही दम न थी॥
कहे प्रेम कविराय, थी मस्ती में स्थिति पूरी।
पकड़ बड़ी मजबूत, बनाये थी एक चूड़ी॥
पकड़ बड़ी मजबूत, बनाये थी एक चूड़ी॥
9 . हमारे प्रिय प्रधानमंत्री
श्री नरेंद्र मोदी जी
(1
मोदी मानव ही नहीं, बहुत बड़े हैं संत।
निश्चय ही अब देश का,होगा उत्कर्ष अनंत॥
होगा उत्कर्ष अनंत, जग में नाम होगा।
देखते रह जाएँ सब, ऐसा काम होगा॥
कहे ' प्रेम ' कविराय, घोषणाएं की जो भी।
एक एक कर अब उन्हें,पूरी करेंगे मोदी॥
10. (2)
गुरू बनेगा विश्व का, अपना भारत देश।
धीरे - धीरे दे रहे, मोदी यह सन्देश॥
मोदी यह सन्देश, ज्ञान का फैले प्रकाश।
जिससे सब कर सकें,अपना बेहतर विकास
कहे 'प्रेम' कविराय,काम इस पर हुआ शुरू।
जल्दी कहलायेगा, भारत अब विश्व गुरू॥
11. (3)
मोदी ने गोदी लिया, पूरा भारत देश।
अपने ज्ञान विवेक से, हर लेंगें सब क्लेश॥
हर लेंगे सब क्लेश,सुरक्षा चिकित्सा शिक्षा से।
जियेगा अब जीवन को, हर कोई इच्छा से॥
कहे' प्रेम ' कविराय, इंतज़ार करें विरोधी।
अपने किये वादों को,अब सिध्द करेंगे मोदी॥
12.
मन को बस में राखिये,करिये अपना काम।
भोजन कर आराम से, भजिये सीता राम।।
भजिये सीता राम, जीवन खुशहाल होगा।
तन-मन हमेशा ही,सुरमय एक ताल होगा।।
कहे प्रेम कविराय,सन्देश यही जन-जन को।
करिये अपना काम,राखिये बस में मन को।।
13.
ज्यों मिली जीवन संगिनी, भूल गये माँ बाप।
ऐसी औलाद को क्या, कहें बतलाओ आप॥
क्या कहें बतलाओ आप, जिसे पाला है पोसा।
बेरहमी से उन्हें ही, दिया है उसने धोखा॥
कहे 'प्रेम' कविराय, किसी की दुर्गति न हो यों।
पर फलेंगे वो हीं,कर्म जीवन में बोओगे ज्यों॥
14.
सैयां उसके बावरे, उस से लिपटत रोज।
लिपटके जाने कौन सी करते रहते खोज॥
करते रहते खोज खोज न पाए हैं कुछ भी।
तन टूटा और मन टूटा हो गए हैं भुस भी॥
कहे प्रेम कविराय जियो और जीने दो ना।
परमेश्वर पिता का सुबह-शाम रस लो ना॥
15.
मानव के पाप पुण्य का होता है यहीं हिसाब।
अपने जीवन की वो लिखता ख़ुद ही किताब॥
लिखता ख़ुद ही किताब फ़िर भी करता पाप।
उठता और गिरता है यहाँ ख़ुद ही अपने आप॥
कहे 'प्रेम' कविराय पापी दुष्ट हुआ करें दानव।
पुण्य वो ही करते हैं जो होते सज्जन मानव॥
1.
आज कल किन्तु परन्तु कैसा,मुँह में ठूँसो पैसा।
तब चलता शासन भैंसा फिर काम कराओ जैसा॥
0
तुम जहाँ स्वर्ग वहां, बाकी सब धुआं धुआं।
आप ने सच कहा, खिल उठा रुआं रुआं॥
0
जैसे ही तुमने मुझको छुआ
दिल में मेंरे कुछ कुछ हुआ।
मौसम ने ऐसा मौसम बनाया
पका आम जैसे कोई हो चुआ॥
2.
उसकी हर बात मैंने कबूल की,
शायद यही मैंने बड़ी भूल की।
जिंदगी उसकी मैं गुलाब करता रहा,
मगर उसने मेरी जिंदगी बबूल की॥
दिल की कली कोई खिली नहीं,
जैसी चाही जिंदगी वैसी मिली नहीं।
आसान नहीं दुनियां को झेल पाना,
व झेली बहुत मगर मुझसे झिली नहीं॥
जीवन सुख-दुःख से यही है
स्वर्ग यहीं और नर्क यहीं है।
कोई मेरी बात माने न माने,
जो कुछ है सब कुछ यहीं है॥
3.
जब से शुरुआत की प्यार में
जिंदगी डूब सी गयी प्यार में।
चलो देखते हैं क्या होता आगे
जिंदगी ये क्या होती प्यार में॥
4.
गरीबों-अमीरों के बीच दूरी पटना अभी बाकी है
इन्तेज़ार में सब ऐसी घटना घटना अभी बाकी है।
यूँ तो दूरी को पाटने में लगे हुए हैं कई लोग मगर
हर सोच से ऐसे बादलों का छटना अभी बाकी है॥
5.
मुझे तन्हा छोड़ कर क्यों चला गया तू
तन-मन मेरे दोनों क्यों गला गया तू।
होली आने में तो अभी बहुत देर थी
होली से पहले ही क्यों जला गया तू॥
6.
ऐसा नहीं कि हम कुछ समझते नहीं
समझते तो बहुत मगर कुछ कहते नहीं।
कहने से क्या इन्सां बुरा मान जाता
बुरा मान जाये तो हमें नहीं भाता।
7.
उनके साथ खड़ा क्या हो गया
मेरी तो पहचान ही बन गयी।
उनके रहम करम से जहाँ में
मेरी तो शान ही बन गयी॥
हर कोई आ रहा मेरी ओर
मेरा स्वागत करने के ही वास्ते।
यह देख कर बदल लिए हैं
हर किसी ने अपने ही रास्ते॥
8.
कोई न जाने कब किस को कहां प्यार हो जाये
होश गवां कर कब अपनी बेहोशी में खो जाये
हर किसी को तलाश है यहां प्रेम अपनेपन की
जिसके पहलू में जाये और मस्ती में सो जाये।
9.
योगी रामदेव
देश - विदेश में छा गये,
योगी रामदेव आ गये॥
सब को दिल से भा गये,
योगी रामदेव आ गये॥
अब न कोई रोगी होगा,
अब न कोई भोगी होगा॥
बाबा की शरण में आके,
अब हर कोई जोगी होगा॥
भ्रष्टाचारियों की खैर नहीं,
सदाचारियों से बैर नहीं॥
सभी को ये अपना समझें,
समझें किसी को गैर नहीं॥
देश - विदेश में छा गये,
योगी रामदेव आ गये॥
सब को दिल से भा गये,
योगी रामदेव आ गये॥
10.
जो पहनावे में दोष निकालें,
वो महिलाओं के दुश्मन हैं।
बस पहनावे ही महिलाओं के,
होते मोहकता के आकर्षण हैं॥
झूठ नहीं मैं सच कहता हूँ,
पूंछ लो चाहे किसी से।
महिलाओं को देख-देख के,
खुश होते सब के मन हैं॥
11.
जैसे भी हों हालात, जीना तो पड़ेगा
गर्मीं हो या बरसात, जीना तो पड़ेगा।
ज़रा तकलीफें आयीं मरने चल दिए
कैसे हैं ये जज्बात, जीना तो पड़ेगा॥
12.
आम आदमी पार्टी
आपने साल भर में ही में रंग अपना जमाया है
समझते ही नहीं थे जो समझ में उनकी आया है॥
व्यवस्था भी बदल देंगे अवस्था भी बदल देंगे
अभी तो पहला ही पहला कदम अपना उठाया है॥
न भ्रष्टाचार होगा अब न होगी कोई मंहगाई
आपने आपकी खातिर कसम ये सोचकर खाई॥
झाड़ू हमने उठाया है सफाई होके ही रहेगी अब
इसी में ही दिखे अब तो हमें सब की भलाई॥
13.
मेरे ख्यालों से खुदको आबाद कब तक करोगे।
बतलाओ यूँ ही खुदको बरबाद कब तक करोगे॥
बतलाओ यूँ ही खुदको बरबाद कब तक करोगे॥
मैं तुम को कभी भी हासिल होने वाली नहीं हूँ
मेरी खातिर यूँ खुदको नाशाद कब तक करोगे॥
14.
मोदी जी समर्पित करता हूँ
अपनी ये दो पंक्तियाँ-
हम भारत को विकास के, रास्ते ले जायेंगे।
हर किसी को हर ख़ुशी के, वास्ते ले जायेंगे॥
15 .
लड़के लड़कियों के पीछे पड़े हैं।
जिधर देखो उधर बेशर्म खड़े हैं॥
बिना देखे इन्हें चैन ही न आये।
दिल के हाथों में मजबूर बड़े हैं॥
समझाओ तो समझाते ही नहीं।
हो जाते एक दम चिकने घड़े हैं॥
बेशर्म इतने कि मत पूँछिये भाई।
कुत्तों जैसी कुत्तागीरी पर अड़े हैं॥
समाज चुपचाप है इन्हें देख के।
तभी लड़कियों पे जुल्म बढ़े हैं॥
वही लड़के छेड़ते हैं लड़कियाँ।
जिसके घर में संस्कार सड़े हैं॥
16.
कोई न जाने कब क्या हो जाये।
कब हँसे कोई दिल कब रो जाये॥
जीवन की चाही अनचाही राहों में,
कब क्या पाये कोई क्या खो जाये॥
17.
जहाँ में जो भी आया, मुहब्बत से ही आया
आ कर जो भी पाया, मुहब्बत से ही पाया ।
मुहब्बत का दामन, कभी छोड़ना नहीं प्रेम
हर बुरे वक्त में साथ दे,ऐसा है यह साया।
18 .
अहिंसा से भी लोग हिंसा कर देते हैं।
बोलो ऐसी अहिंसा किसी के किस काम की॥
नकारात्मक काम कर देते सकारत्मक काम भी
बोलो ऐसी सकरात्मकता किसी के किस कामकी
हित से भी लोग अहित कर देते हैं,
बोलो ऐसा हित किसी के किस काम का ॥
दिखाते हैं प्यार मगर प्यार वो करते नहीं
बोलो ऐसा प्यार किसी के किस काम का ॥
सोचिये! समझिए,यह जिंदगी जिंदगी नहीं दोस्त,
बाहर निकलने की एक कोशिश तो जरूर कीजिए
मैंने सही कहा या गलत कहा यह आप सोचिये,
अच्छा लगे तो गौर कीजिये वरना छोड़ दीजिए॥
19 .
उसने मेरी सोच एक दम बदल कर रख दी
नई के वास्ते पुरानी सोच कतल कर रख दी।
वो मुझसे मिले ऐसे सदियों से मिले हों जैसे
जिन्दगी पर अपनी जिन्दगी संभल कर रख दी।
20.
जिताने का भरोसा दिला के
वकील आपका केस लड़ेगा।
मगर जो खर्चा होगा वो सब
बस आपको ही देना पड़ेगा॥
सुलह वकील की फितरत में
कभी होता ही नहीं है प्यारे।
केस तो वो आगे ही आगे
बढ़ायेगा जितना भी बढ़ेगा॥
अक्ल से वो बेवकूफों से
धन को खूब कमाता है।
गँवाने वाला गाढ़ी कमाई को
वकीलों पर सालों गँवाता है॥
खून उसके अपने मुँह से
एक दिन निकल जाता है।
पर वो समझता है कि खून
दुश्मन के तन से आता है॥
21.
प्रेम फ़र्रुखाबादी
अगर हम रूठ गये तो मना न सकोगे
बना कर भी मुझे तुम बना न सकोगे।
इसलिए कोई ऐसी हरकत न करना
प्यार में यूँ अकेले दन दना न सकोगे॥
प्यार किया है तो उसे निभाना भी सीखो
खुशी-खुशी से जिंदगी ये बिताना सीखो।
हमेशा गुस्से में लाल पीला रहना छोड़ दें
प्यार की खुशी से कभी मुस्कराना सीखो॥
22.
अपनी अपनी कह रहे अपनी सब कह जायेंगे।
बहता चला जाता वक्त इसमें सब बह जाएंगें॥
अरमानों की कश्ती पे सवार यहाँ हर कोई।
होगा वही होना होगा लाचार यहाँ हर कोई॥
छोड़ जाओ अपने निशाँ कुछ कर जाओ विशेष।
ये जीवन ऐसा जीवन कुछ रहना नहीं अशेष॥
हितकर है बस यही चाहो सभी का भला।
भला कर्म ही हमेशा साथ सभी के चला॥
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