बुधवार, 10 मार्च 2010

तेरी यादों में खोया करुँ


तेरी यादों में खोया करुँ',
तेरे ख्वाबों में सोया करुँ
जुदाई में तेरे प्यार में,
अपनी आँखें भिगोया करुँ

लोग समझाते हैं जिस तरह,
सुकूंन मिलता नहीं उस तरह
समझ में कुछ भी आता नहीं
खुदको समझाऊँ किस तरह 
तुझको खुद में पिरोया करुँ,
तेरी यादों में खोया करुँ।

एक दिन तो बनोगी मेरी तुम
इसी चाह में रहता हूँ गुमसुम
वो दिन खुशी का दिन होगा 
जिस दिन समझोगी मेरा मरम
खुदको मैं खुद में ढोया करुँ,
तेरी यादों में खोया करुँ।

जन्मों का रिश्ता है अपना
पास आओ नहीं दूर अब रहना
हर बात तेरी सुनूंगा दिल से 
कहना जो भी तुम्हें हो कहना 
तड़प कर तन्हाई में रोया करुँ,
तेरी यादों में खोया करुँ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. तेरी यादों में खोया करुँ
    रहूँ ख्वाबों में सोया करुँ

    ख्वाब तुम्हारे ख्वाबों से हैं
    ऊँचे-ऊँचे महराबो से है.
    सुन्दर रचना

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  2. कई जन्मों का रिश्ता है अपना
    पास आओ नहीं दूर अब रहना
    हमेशा राह तेरी मैं जोहा करुँ।

    -बहुत बढ़िया!!

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  3. कई जन्मों का रिश्ता है अपना
    पास आओ नहीं दूर अब रहना
    हमेशा राह तेरी मैं जोहा करुँ।


    umda hai.

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  4. बहुत बढ़िया साहिब!
    भारतीय नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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