वरिष्ठ कवि महोदय की युक्ति
वरिष्ठ कवि वो कहलाते हैं जो किसी कवि सम्मलेन में जाते हैं और थोड़ी देर बाद ही बड़े विनम्र भाव से संचालक महोदय से निवेदन के साथ कहते हैं मुझे जल्दी अवसर देने की कृपा करें एक जरूरी काम है वार्ना मेरी इच्छी तो थी कि सभी कवियों को सुनकर ही जाता । आशा है आप सब हमें क्षमा कर देंगे। सचमुच ही हम सब उन्हें क्षमा कर देते हैं और वो अपनी कविता अधिक से अधिक समय सुनकर सुनाकर अपना प्रतीक चिन्ह व पारश्रमिक ले जाना नहीं भूलते हैं. धन्य हो श्रीमान!
जब मैंने जाते हुए कवि से एकांत में पूंछा तो बोले मैं एक वरिष्ठ कवि हूँ बहुत देर तक रुकना मेरे सम्मान के खिलाफ है इस लिए जा रहा हूँ। मैंने यहाँ तक का सफर ऐसे ही तय नहीं किया श्रेष्ठ कवि बनने के लिए वरिष्ठ कवियों से यही युक्ति सीखी है। जयहिंद , चलता हूँ क्षमा करें बंधुवर !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें