चलो उन्हें सकून तो मिला, मुझे भुला कर।
चलो उनका दिल तो खिला,मुझे भुला कर॥
यही मेरी आरजू रही वो जहाँ रहें खुश रहें
चलो उनका दूर हुआ गिला,मुझे भुला कर।
जाने क्यों उन्होंने उदासी को ओढ़ रखा था
चलो उनका चेहरा तो खिला,मुझे भुला कर।
मुझे मेरी नहीं बस उनकी ही फ़िक्र थी सदा
चलो उनका अच्छा तो हुआ,मुझे भुला कर।
किसी के काम तो आ गयी ये जिंदगी मेरी
सदा उनका होता रहे भला,मुझे भुला कर।
बहुत प्यारी बातें लिखीं हैं उस सनम के बारे में जो आपको ही भूल गया, वाह मजा आ गया। आपकी प्रोफाइल में लिखी गजल भी सार्थक और बेहद सुन्दर है। सबके भले के लिये लिखते रहिये, यही हार्दिक शुभकामना।
जवाब देंहटाएंकिसी के काम आने की तमन्ना ही तो हमारी धरोहर है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
किसी के काम तो आ गयी ये जिंदगी मेरी
जवाब देंहटाएंहमेशा होता रहे उनका भला,मुझे भुलाकर।
बहुत खूब पूरी रचना दमदार है।शुभकामनायें
किसी के काम तो आ गयी ये जिंदगी मेरी
जवाब देंहटाएंहमेशा होता रहे उनका भला,मुझे भुलाकर।
vaah,behtreen.
किसी के काम तो आ गयी ये जिंदगी मेरी
जवाब देंहटाएंहमेशा होता रहे उनका भला,मुझे भुलाकर।
-फिर भी दुआ ही दुआ है.
आपकी पोस्ट बहुत सुन्दर है!
जवाब देंहटाएंयह चर्चा मंच में भी चर्चित है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/02/blog-post_5547.html
जाने क्यों उन्होंने उदासी को ओढ़ रखा था
जवाब देंहटाएंचलो उनका चेहरा तो खिला,मुझे भुलाकर।
wah badhia likha hai.
किसी के काम तो आ गयी ये जिंदगी मेरी
जवाब देंहटाएंहमेशा होता रहे उनका भला,मुझे भुलाकर।
उनका भला मुझे भुला कर ..... पर भूलना इतना आसान कहाँ प्रेम जी ..... बहुत अच्छा लिखा है ........