गुरुवार, 16 जुलाई 2015

मेरा जीवन परिचय

 मैं, प्रेम नारायण शर्मा ( प्रेम फ़र्रुखाबादी)मेरा जन्म 20 July 1961 जिला फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेश के एक गाँव में हुआ।सितम्बर 1979 से लेकर 2006 तक भारतीय वायु सेना( Indian Air Force) में सेवा की है।  रचनाएँ  प्रेम फ़र्रुखाबादी के नाम से लिखता हूँ। मैं एक (Astrologist & Numerologist) भी हूँ । 2010  में मेरी एक पुस्तक प्रकाशित हुई थी जिसका नाम था "अक़्स तेरा  लफ़्ज  मेरे " (Aks Tera Lafj Mere)   यह पुस्तक जबलपुर से प्रकाशित हुई जिसके प्रकाशक थे जबलपुर के मशहूर शायर साज़ जबलपुरी जी। मैंने दोहा ,सवैया, कुण्डलियाँ ,गीत और ग़ज़ल आदि  तरह की रचनाएँ लिखी हैं। कई मेरी रचनाएँ समाचार पत्रों में  और विभिन्न पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित हुई हैं। 1993 में वड़ोदरा में "श्री राम भक्त हनुमान "(Shree Ram Bhakt Hanuman)  नमक कैसिट  के गीत लिखने का सौभाग्य मिला। यह कैसिट "सारंगपुर हनुमान जी"अहमदाबाद (गुजरात )को समर्पित की गयी थी।  गुजरात के  सम्मानित मंत्री श्री अशोक भट्ट जी द्वारा इसका उद्घाटन  हुआ था। यह कैसिट गुजरात में चल रही है । हिंदी फिल्मों के लिए गीत लिखने की इच्छा रखता हूँ।मेरा facebook account https://www.facebook.com/PremNarainSharmaa है।   मेरा ब्लॉग  " pnsharma10.blogspot.com" है।        वर्तमान में परिवार के साथ मैं नॉएडा में रह रहा हूँ।  जीवन से पूर्ण सतुष्ट हूँ।  ईश्वर की असीम कृपा है।  

सोमवार, 6 अक्तूबर 2014

वरिष्ठ कवि महोदय की युक्ति

वरिष्ठ  कवि महोदय की युक्ति

      वरिष्ठ कवि वो कहलाते हैं जो किसी कवि सम्मलेन में जाते हैं और थोड़ी देर बाद ही बड़े विनम्र भाव से संचालक महोदय से निवेदन के साथ कहते  हैं  मुझे जल्दी अवसर देने की कृपा करें एक जरूरी काम है वार्ना मेरी इच्छी तो थी कि सभी कवियों को सुनकर ही जाता । आशा है आप सब हमें क्षमा कर देंगे। सचमुच ही हम सब उन्हें क्षमा कर देते हैं और वो अपनी कविता अधिक से अधिक समय सुनकर सुनाकर अपना प्रतीक  चिन्ह  व पारश्रमिक ले जाना नहीं भूलते हैं. धन्य हो  श्रीमान!

     जब मैंने जाते हुए कवि से एकांत में पूंछा  तो बोले मैं  एक वरिष्ठ कवि हूँ बहुत देर तक रुकना मेरे सम्मान के खिलाफ है इस लिए जा रहा हूँ।  मैंने यहाँ तक का सफर ऐसे ही तय नहीं किया श्रेष्ठ  कवि बनने के लिए वरिष्ठ  कवियों से यही युक्ति सीखी है। जयहिंद , चलता हूँ क्षमा करें बंधुवर !

मंगलवार, 8 जनवरी 2013

रविवार, 10 अक्तूबर 2010

भरोसा कर देख लिया हर कोई झूठा है


भरोसा कर देख लिया हर कोई झूठा है।
            भरोसे में लेकर मुझे हर कोई लूटा है॥

लोग कहते हैं कुछ मगर करते हैं कुछ
           इसलिए हर किसी से हर कोई रूठा है।

देने की जगह सब लेने पर तुले हुए
          इसी वजह आज रिश्ता हर कोई टूटा है।

अच्छाई की जगह पर बुराई कायम हो गयी
          तभी तो अपनों से हर कोई छूटा है।

मंगलवार, 5 अक्तूबर 2010

तेरी मेरी जोड़ी बड़ा खूब ही जमेगी


तेरी मेरी जोड़ी खूब ही जमेगी
      मैं भी खुश रहूँगा तू भी रहेगी 
जलती है दुनिया तो जलने दे 
    प्रीति परवान यह अपनी चढ़ेगी 
मैं भी खुश रहूँगा तू भी रहेंगी

दुनिया से दूर नई दुनिया बसायेंगे
  तन मन की मीठी ज्योति जलाएंगे
वही करूँगा तू जो भी कहेगी।
         मैं भी खुश रहूँगा तू भी रहेगी

मरते-मरते प्रेमियों ने कहा है
       प्रीति बिना जीना जीना क्या है
प्रीति मिशाल ये अपनी बनेगी
         मैं भी खुश रहूँगा तू भी रहेगी

गुजरेंगे जब हम तुम जहाँ से
          चर्चायें होगी सबकी जुबाँ पे
दाँतों तले ऊँगली उनकी दबेगी 
         मैं भी खुश रहूँगा तू भी रहेगी

एक दूसरे के हम होकर रहेंगे
        एक दूसरे में हम खोकर रहेंगे
रोशन दोंनों की जिन्दगी रहेगी
        मैं भी खुश रहूँगा तू भी रहेगी