गुरुवार, 22 जुलाई 2010

तुमसे मेरी आँखें क्या चार हो गयीं


तुमसे मेरी आँखें क्या चार हो गयीं।
      खुशियाँ जीवन में बेशुमार हो गयीं।

मिलते मिलते आखिर मिल ही गये
     जिन्दगीं दोनों की मजेदार हो गयीं।

धरी रह गयीं चालें सारी ज़माने की
    कोशिशें अपनी सफल यार हो गयीं।

मुहब्बत से जियेंगे सदा खुश रहेंगे
      तेरी बाहें मेरे गले की हार हो गयीं।


मंगलवार, 13 जुलाई 2010

आओ एक दूजे को हम तुम मिल के संभालें

आओ एक दूजे को हम तुम मिल के संभालें       
आओ कसम ये खालें,आओ कसम ये खालें। 
प्यार मुहब्बत से मिल कर, प्रीत के गीत गालें
आओ कसम ये खालें,आओ कसम ये खालें॥ 

चाहे कोई कुछ भी कहे, करेंगे अपने मन की।  
मेरी तुझसे तेरी मुझसे, खुशियाँ हैं जीवन की॥ 
रहें प्यार से हँसी ख़ुशी से झगडे की बातें टालें। 
आओ कसम ये खालें, आओ कसम ये खालें॥ 

कहने को कहते रहते , कुछ न कुछ जगवाले
उनके मुँह पर कभी, कोई डाल सका न ताले। 
एक-दूजे की सुने एक-दूजे को ध्यान में डालें 
आओ कसम ये खालें, आओ कसम ये खालें॥ 

हम दो तन और दो जीव हैं देखो जुदा जुदा से
मिलके गुजर जाएँ जीवन अर्ज है यह खुदा से। 
एक-दूजे की खातिर  एक-दूजे के रंग में ढालें
आओ कसम ये खालें, आओ कसम ये खालें॥ 


शनिवार, 10 जुलाई 2010

हित को दिखाके भी लोग अहित कर देते हैं


हित को दिखाके भी लोग अहित कर देते हैं।
       अनादर कभी कभी आदर सहित कर देते हैं।

दुश्मनों के रूप कौन जान पाया आज तलक
       जिस रूप में भी वो आते व्यथित कर देते हैं।

चरित्रवान कोई लाख बनना चाहे दुनिया में
       ऐसे भी लोग जो बहकाके पतित कर देते हैं।

कितना भी सोच समझ कर फैसला कर लो
        फ़िर भी राय लो तो लोग भ्रमित कर देते हैं।

दिल लागने वाले दिल जीत ही लिया करते
        ऐसे मोहित करते वो कि चकित कर देते हैं।

मतलब निकाला चल दिये पराया बना कर
        जीवन देकर भी जीवन से रहित कर देते हैं।




गुरुवार, 8 जुलाई 2010

गुजरा वक्त कभी वापस न आए


गुजरा वक्त कभी वापस न आए
चाहे कोई चीखे और चिल्लाए
गुजरा वक्त कभी वापस न आए
कर के देख ले चाहे कोई उपाए 
गुजरा वक्त कभी वापस न आए 

झड़े फूल कभी खिलते नहीं हैं 
गए लोग कभी मिलते नहीं हैं
चाहे फिर कोई सारी उमर बुलाए
गुजरा वक्त कभी वापस न आए 

मना लो उनको जो रूठे हैं 
मिला लो उनको जो छूटे हैं 
ऐसा न हो फ़िर यह मन पछताए 
गुजरा वक्त कभी वापस न आए 

वक्त कभी भी रुका नहीं है 
किसी के आगे झुका नहीं है 
वक्त का पहिया आगे बढ़ता जाए 
गुजरा वक्त कभी वापस न आए 

प्रेम फर्रुखाबादी 

शनिवार, 26 जून 2010

उसका हर दिल पर जादू चला जरूर होगा

उसका हर दिल पर जादू चला जरूर होगा।
         पाने को हर कोई दिल में जला जरूर होगा।

भला सोचके जो सबका भला सोचता फिरता
       निश्चय ही उसका एक दिन भला जरूर होगा।

खुश वो ही होगा किसी को नज़रों में गिराके
      जो खुद गिर कर कहीं हाथ मला जरूर होगा।

जिन्दगी का मजा अकेले आ ही नहीं सकता
    थोड़ा तो किसी के संग कहीं ढला जरूर होगा।

बिना खुद जले ही भला कौन किसे जला पाया
     जलने से पूर्व वो थोड़ा बहुत जला जरूर होगा।

शुक्रवार, 18 जून 2010

जब से तुम मेरी जिन्दगी में आये


लड़का:
जब से तुम मेरी जिन्दगी में आये
मन मुस्कराए मेरा तन मुस्कराए।
जब से तुम मेरी...

लड़की:
तारीफ मेरी क्यों करते हो इतनी
इतनी नहीं तुम कहते हो जितनी
तारीफ मेरी क्यों...

लड़का:
जाने क्या जादू तुझमें है जाना
देखते देखते हुआ तेरा दीवाना
जितना देखूँ तुझे तू उतना लुभाए।
जब से तुम मेरी...

लड़की:
आता है तुमको खूब बातें बनना
बस भी करो क्या कहेगा जमाना
दिल में तुम्हारे मुहब्बत है कितनी।
तारीफ मेरी क्यों...

लड़का:
कहो सदा के लिए अपना बनालूँ
तुम मानो तो तुम्हारे घर को मनालूँ
तुम्हारे बिना जीना जीना नहीं हाये।
जब से तुम मेरी...

लड़का: लड़की:
भरोसे में लेके भरोसा न तोडना
देखो कभी मुझसे मुँह न मोड़ना
बनकर रहेंगे हम एक दूजे के साये।
जब से तुम मेरी...



ले लो मुझको शरण में मेरी माँ, माँ मेरी प्यारी माँ


मेरी माँ ... प्यारी माँ ...
ले लो मुझको शरण में मेरी माँ , माँ मेरी प्यारी माँ।
ले लो मुझको शरण में मेरी माँ , माँ मेरी प्यारी माँ।

पीछे पड़ा मेरे, सारा जमाना
पागल होकर, होकर दीवाना
मुझको बचालो मुझको छुपालो इस जग से मेरी माँ।
ले लो मुझको शरण में मेरी माँ , माँ मेरी प्यारी माँ।

छोड़ दूँगा अब ये पाप की दुनियां
आऊँगा अब माँ आप की दुनियां
तेरा द्वारा है मेरा गुजारा सचमुच आज से मेरी माँ।
ले लो मुझको शरण में मेरी माँ , माँ मेरी प्यारी माँ।

मेहनत करूँगा मजदूरी करूँगा
कुछ गलत माँ अब न करूँगा
सीधी राहें होंगी अब मेरी राहें खाऊँ कसम मेरी माँ।
ले लो मुझको शरण में मेरी माँ , माँ मेरी प्यारी माँ

शनिवार, 12 जून 2010

हाय! मैं क्या करुँ मेरा ऐसा नसीब है


हाय! मैं क्या करुँ मेरा ऐसा नसीब है।
चाहा जिसे दूर वो अनचाहा करीब है। 

उसकी झलक को मैं तरस गया हूँ
आँखों से अपनी मैं बरस गया हूँ
हाल मेरे दिल का यारो बड़ा अजीब है।
हाय! मैं क्या करुँ मेरा ऐसा नसीब है।

जीने को मन मेरा करता नहीं है
उसके बगैर काम चलता नहीं है
मुझ जैसा न होगा कोई बदनसीब है।
हाय! मैं क्या करुँ मेरा ऐसा नसीब है।

उसको मैंने चाहा दिल से चाहा
दिल में बिठा के दिल से सराहा 
फिर भी बन गया रे वो मेरा रकीब है। 
 हाय! मैं क्या करुँ मेरा ऐसा नसीब है।

दिल को सकूं कभी मिला ही नहीं
दिल का फूल कभी खिला ही नहीं
प्यार की खुश्बू कभी हुई न नसीब है। 
हाय! मैं क्या करुँ मेरा ऐसा नसीब है।


शनिवार, 5 जून 2010

जीना मुश्किल होके तुमसे जुदा


जीना मुश्किल है होकर तुमसे जुदा
          पास आ या पास अपने बुला।
याद करो वो गुजरे हुए पल
              तुमने भुलाये मैं दूँ कैसे भुला।

कुछ न पूँछो क्या हाल हुआ मेरा
         तड़प के तन मन मेरा घुला।
थक गयी आँखें देख राहें तेरी
            भरोसे से न मुझे झूला झुला।

कभी तो सोचो बैठ कर अकेले
   जिंदगियों को उजाड़ने पर क्यों तुला।
बहुत तड़पा लिया मान भी जाओ 
          बात बात पर मुँह न फुला।

पता नहीं कब छोड़नी पड़े दुनिया
      जीवन तो एक पानी का बुलबुला।
दूरियां जो बनी हैं अपने दरमियाँ
   दोष दोनों का ही रहा मिलाजुला।

गुरुवार, 3 जून 2010

बेसहारा हूँ प्रिये मुझे अपना सहारा दे दो

बेसहारा हूँ प्रिये मुझे अपना सहारा दे दो।
           नज़र मिला कर मुझे अपना नज़ारा दे दो॥

ग़र यह जिन्दगी इतराने लगे अपने आप पर,
            चाहत का हँसीं मुझे अपना इशारा दे दो॥ 

बगैर तेरे यह जिन्दगी जीना है बड़ा मुश्किल 
           मुहब्बत से भरा मुझे अपना फुहारा दे दो॥

तड़प-तड़प कर जी जाऊँगा यह जिन्दगी मगर
                साथ रह कर जीवन का गुजारा दे दो॥ 

जिन्दगी यह मेरी बस मस्त मस्त हो जाये
         मिल जाय सुकून मुझे अपना शरारा दे दो॥