देख के तुमको माना है मैंने,तुम हो बहुत हँसीन।
जाने है सारा आसमां और जाने यह सारी जमीं।
सच कहूँ तेरे सिवा मेरा कोई मेरा ठिकाना नहीं।
मेरा नाम प्रेम नारायण शर्मा है.मेरा जन्म फ़र्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ. मैंने १९९५ में एक कैसेट के गीत लिखे थे,जिसका नाम था -"सारंगपुर हनुमान" और जिसके गीत फिल्मी गायक मनहर उधास ने गाए थे.कैसेट का लोकार्पण अहमदाबाद (गुजरात) में हुआ था.मैं "प्रेम फ़र्रुखाबादी" के नाम से रचनाएँ लिखता हूँ.
पैरोडी
है दुनियां उसी की जमाना उसी का...
दिल से जो होता है, जग में सभी का।
उसको ही कहते हैं, फ़रिश्ता जमीं का॥
भला जो करेगा, भला उसका होगा
उसके पीछे पीछे, हर कोई होगा
आदमी वही करे जो,भला आदमी का।
उसको ही कहते हैं, फ़रिश्ता जमीं का।
गैरों के दुःख को, जो अपना बना ले
प्यार से बढ़ कर, गले से लगा ले
करे दूर दुःख जो, हर एक दुखी का।
उसको ही कहते हैं,फ़रिश्ता जमीं का।
जो नफ़रत मिटा के,मुहब्बत सिखा दे
मुहब्बत से सबको, मुहब्बत सिखा दे
चखा दे मज़ा जो, इस जिंदगी का।
उसको ही कहते हैं, फ़रिश्ता जमीं का।