गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

आज कल लोग दोस्ती कम दुश्मनी जादा निभाते हैं


आज कल दोस्ती कम लोग दुश्मनी जादा निभाते हैं।
जो होते नहीं अक्सर वही रूप दूसरों को दिखाते हैं॥

मजाल क्या कोई सहारा दे किसी को उठने के लिए
मौका मिलते ही  दूसरों को टांग खीच कर गिराते हैं।

बेमतलब कोई किसी को कभी नहीं पूछता है यारो
मतलब पड़े तो लोग दूसरों को खाना भी खिलाते है।

बस प्यार से ही जी जा सकती यहाँ जिन्दगी यारो
जो यह जानते वही जिन्दगी को प्यार से जी पाते हैं।

दिखावे से कभी दूर तक नहीं निभा करते हैं रिश्ते
रिश्ते  उनके ही निभते जो रिश्ते दिल से निभाते हैं।

अपने दिल की बात कभी किसी से न कहें मेरे यार
सम्मान उनको ही मिलता जो बात दिल में छुपाते हैं।

मात्रा के साथ जो रखें अपनी गुणवत्ता पे भी नजर
सामान उन्हीं के बजार में अच्छे दामों पर बिकाते हैं।

दिल से दिल मिल जाएँ किसी से ये जरूरी तो नहीं
आगे वही बढ़ते जाते हैं जो हाथों से हाथ मिलाते हैं।

जो बदतमीजी करते हुए नजर आते हमेशा गैरों से
दूसरों को मिटा के एक दिन वो खुदको ही मिटाते हैं।

बुधवार, 3 फ़रवरी 2010

मन लग जाये तो कोई काम कठिन नहीं


मन लग जाये तो कोई काम कठिन नहीं।
लगती फिर किसी भी काम में घिन नहीं॥ 

मेहनत करने वाले कभी वक्त नहीं देखते
उनके लिए रात-रात नहीं दिन-दिन नहीं।

प्यार-मोहब्बत बगैर भले ही कोई जी ले
मगर जीवन में मस्ती प्यार के बिन नहीं।

कितने भी हों साज संगीत फिर भी अधूरा
जब तक उसमें तबले की ताक धिन नहीं।

हर जगह हर चीज काम नहीं करती प्यारे
भाले की जगह पर काम करती पिन नहीं।

दिलवर साथ तो रात का पता नहीं चलता
बगैर दिलवर के रात कटती तारे गिन नहीं।



सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

झूठ नहीं हम कहते हैं कहते बिलकुल सच्ची


झूठ नहीं हम कहते हैं कहते बिलकुल सच्ची।
मेहनत करने वालों की होती किस्मत अच्छी॥ 

जीवन एक कश्ती है दुनियां के समुन्दर में
जो संभल चलाते नहीं डूबती उनकी कश्ती।

जो खुदको मिटा देते उन्हें दुनियां मिटा देती
फिर आते नजर ऐसे जैसे मारते हों मक्खीं।

जीवन उसका जीवन है जो हँस कर जी ले
यूँ तो घुटन से भरी है दुनियां की हर बस्ती।

उठो नहीं तो प्यारे एक दिन तुम पछताआगे
तब जीवन मँहगा लगेगा मौत लगेगी सस्ती।

गुरुवार, 28 जनवरी 2010

इस दुनिया में छोड़ जाओ प्यारे ऐसे अपने निशां


इस दुनियां में छोड़के जाओ ऐसे अपने निशां।
जिन पर चलके खुश हो दुनियां का हर इन्सां॥ 

प्यार की प्यारे फसल उगाओ चारों दिशाओं में
प्यार ही प्यार लहराये कुछ भी नजर आये ना।

देखो महापुरुषों के हैं जीवन त्याग से भरे हुए
मानवता की खातिर कर गये जीवन को कुर्बां।

वो जीवन क्या जीवन जिसे याद करे न कोई
जीवन वो जीवन जिसे याद करे सारा ये जहाँ।

एक दिन जाना होगा सबको छोड़ के ये दुनियां
जाना है तो ऐसे जाओ बन हर दिल के महमां।

बुधवार, 20 जनवरी 2010

हम तुम कितने पागल थे अब तक मुझको याद है


वो प्यार तेरा मस्ती भरा, अब तक मुझको याद है।
हाय वो तेरी प्यारी अदा, अब तक मुझको याद है॥

एक दूसरे के हुए थे पहली ही मुलाकात में हम
चाहत का वो हसीं लम्हा, अब तक मुझको याद है।

आँखों में मस्ती छायी थी और दिल भी धड़के थे
हाये वो दिल का धड़कना, अब तक मुझको याद है।

एक दूजे को देखे बिना हमें चैंन नहीं आता था
बेताबी का वो प्यारा नशा,अब तक मुझको याद है। 




रविवार, 17 जनवरी 2010

लाखों में हँसीं जानम चेहरा यह तुम्हारा


लाखों में हँसीं जानम चेहरा यह तुम्हारा।
तभी तो दिल ने तुझको दिल में उतारा।

मौसम की तो तुम्हें दाद ही देनी चाहिए
प्यार से
जिसने तुम्हारा रूप ये निखारा।

पहली ही नज़र में मैं तो होश गवां बैठा
पता ही नहीं चला दिल तुझपे कब हारा।

हर अदा तुम्हारी लुभाती है दिल को प्रिये
लगता यह अंदाज़ तेरा सबसे ही न्यारा

ख्वाहिश है दिल की ये रहूँ तेरे आस पास

इस तरह तूने मुझे दिलो-दिमाग से मारा

शनिवार, 9 जनवरी 2010

दूरी तेरी अब सही नहीं जाती

दूरी तेरी अब सही नहीं जाती।
बात दिल की कही नहीं जाती॥ 
समझ सको तो समझ जाओ न 
देखो मुझे अब और तरसाओ न॥

जो भी देखता पागल कहता है
चाह में मुझे घायल समझता है।
जो भी समझे समझे ये जमाना
मुश्किल बड़ा बिन तेरे जी पाना।

किसी से लेता कोई भी सलाह
न सुनता न करता कोई परवाह। 
दिल की बात को दबाये रहता हूँ
दिल ही जानता कैसे सहता हूँ।

न जाने तुम क्यों खफा हो गए
कहो प्रिये क्यों बेवफा हो गए।
मेरा कसूर बताओ कम से कम
कहीं निकल ना जाये मेरा दम।

बहुत हो चुका मान भी जाओ
हालत दिल की जान भी जाओ।
माफ़ करने वाले बहुत बड़े होते 
माफ़ी देने से वो छोटे नहीं होते।

दूरी तेरी अब सही नहीं जाती।
बात दिल की कही नहीं जाती॥ 
समझ सको तो समझ जाओ न 
देखो मुझे अब और तरसाओ न॥


शनिवार, 26 दिसंबर 2009

रात भर करवट बदलती रही,मचलती रही


उन बिन काटे न कटी जागी मैं सारी रात 
वो जो होते साथ तो बन जाती मेरी बात 

हाय ! हाय!  हाय! 
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही
पिया के मिलन को तड़पती रही,तड़पती रही
सुलझे न सुलझी ये उलझन मेरी य उलझन मेरी 
मार कर अपने मन को तरसती रही तरसती रही 
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही

अकेले में जीना जीना है क्या-2
जीना नहीं यह जीना है सजा-2
कहते बने न यह मन की व्यथा 
मन की व्यथा ही है मेरी कथा-2
मैं ही जानूँ मुझे कैसा लगा 
तन-मन से ही धड़कती रही,बहकती रही
पिया मिलन को तड़पती रही,तड़पती रही
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही

हालत हुई कुछ मेरी इस तरह -२
कैसे बताऊँ अब तुम्हें उस तरह -२
कोशिश में कमी कोई रखी नहीं 
कोशिश तो की मैंने हर एक तरह-2 
समझ से परे थी बेचैनी मेरी-2
जल बिन मछली फड़कती रही,बिलखती रही
पिया के मिलन को तड़पती रही,तड़पती रही
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही

आँखों ही आँखों में रात कटी -२
पल भर को भी मैं सो न सकी -२
पगला गयी हूँ मैं उनके बिना 
मारी गयी हो जैसे मेरी मती-2
हालत बेकाबू मेरी होती गयी 
अपनी ही आग में सुलगती रही,भभकती रही
पिया के मिलन को तड़पती रही,तड़पती रही
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही

अब आये अब करती रही -२
दरवाजे को ही तकती रही- २
कुछ भी समझ में आया नहीं 
बस खुद को ही छलती रही-2 
धक धक दिल मेरा करता रहा
अरमान दिल के कुचलती रही,सुबकती रही
पिया के मिलन को तड़पती रही,तड़पती रही
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही

जैसा हुआ कभी वैसा न हो-२ 
तंग कोई मेरे जैसा न हो-२
अब क्या कहें क्या न कहें  
संग किसी के ऐसा न हो-2
अगन की चुभन घुटन से भरी
मन ही मन में सिकुड़ती रही,उखड़ती रही
पिया के मिलन को तड़पती रही,तड़पती रही
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही




बुधवार, 9 दिसंबर 2009

जय हो पाट बाबा की (जबलपुर वाले)


मन की खुशियाँ मिलें, पाट बाबा के दरबार में।
मन की कलियाँ खिलें, पाट बाबा के दरबार में।


सच्चे मन से जिसने जो माँगा
बाबा ने वो उसको दिया है
दुःख सारे ही लेकर उसके
सुख - सागर को दिया है
दुखिया सुखिया बनें
, पाट बाबा के दरबार में।


भक्तों का हरदम ही यहाँ पर
खूब ताँता लगा रहता है
बड़ा ही दयालू है यह बाबा
हर कोई यह कहता है
आओ मिलके चलें, पाट बाबा के दरबार में।


बाबा के चरणों में हरदम
जिसका ध्यान लगा है
उस पर कृपा हुई बाबा की
सोया भाग जगा है
अर्जी सबकी लगें, पाट बाबा के दरबार में।



शुक्रवार, 4 दिसंबर 2009

मैया मैहर वाली


मैया मैहर वाली ,मुझपे महर करो
मुझपे महर करो, खुशियाँ नज़र करो
मैया मैहर वाली, मुझपे महर करो।

विपदाओं ने, मुझको घेरा
अपनों ने भी, मुख को फेरा

समझ में कुछ भी आता नहीं
कुछ भी मुझको भाता नहीं
मैया, आसान जीवन की डगर करो।


काम कोई मेरा, बनता नहीं
जोर कोई मैया, चलता नहीं
क्या करुँ क्या ना करुँ
क्या कहूँ क्या ना कहूँ
अपनी शक्ति का मुझपे असर करो

द्वार तेरे मैया, जो भी पहुँचा
कुछ न कुछ, लेके ही लौटा
मेरी भी एक अर्ज़ सुन लो
जीवन में खुशियाँ भर दो
मैया, फ़िर से आबाद मेरा घर करो।