गुरुवार, 16 अप्रैल 2009

जब से तुझसे आँख मेरी लड़ गई रे


जबसे तुझसे आँख मेरी लड़ गई रे
बिना पिए ही जैसे मुझको चढ़ गई रे

छुप के तुझको देखने लगा हूँ
आँखें मैंअपनी सेकने लगा हूँ
मेरे दिल की अंगूठी में तू जड़ गई रे।

रात भर मैं जगने लगा हूँ
ठंडी आहें भरने लगा हूँ
निंदिया जैसे मेरी आंखों से उड़ गई।

कुछ भी मुझको भाता नहीं है
समझ में कुछ भी आता नहीं है
तेरी चाहत में हालत बिगड़ गई रे।


बुधवार, 15 अप्रैल 2009

प्यार नहीं है तो जताता क्यों है


प्यार नहीं है तो जताता क्यों है।
       सरेआम फिर मुझको बनाता क्यों है॥ 

माना कि जमाने में बड़ा नाम है तेरा
             बता मेरे दिल को जलाता क्यों है।

जुबान दी है तो उसको निभाओ भी
         जुबान से सभी को भरमाता क्यों है।

पीते वक्त जरा होश तो रखा कर 
   संभाल खुदको फिर लड़खडाता क्यों है।

अक्ल को अपने पास रख अच्छा होगा
    बता गैरों को इतना तू समझाता क्यों है।

अपनी नज़र में सभी चतुर हुआ करते
    खुदको सबसे बड़ा चतुर बताता क्यों है।




मंगलवार, 14 अप्रैल 2009

जानू न मैं ये जाने न तू ये


जानू न मैं ये,जाने न तू ये
कब हो गया अपना प्यार
कहता है अंग अंग
रहना अब तेरे संग
सातों जन्म मेरे यार।

जब भी हम मिलते
मिल करके खिलते
झूठ नहीं हम
कहते हैं दिल से
देखो इन आंखों में
देखो इन साँसों में
छाया है तेरा खुमार।

मैं तेरे काबिल
तुम मेरे काबिल
जीवन हो जीवन
गर तुम हो हासिल
अब मैं हूँ तुझ से
अब तुम हो मुझ से
दिलवर मेरे दिलदार।

साथ जिऊंगा
साथ मारूंगा
जो तुम कहोगी
वो ही करूंगा
सुन जाने जाना
मैं हूँ दीवाना
तुझे पाने को बेकरार।



शनिवार, 11 अप्रैल 2009

पहले नज़र मिली फ़िर उस से बात हो गई।


पहले उससे नज़र मिली फ़िर बात हो गई।
धीरे-धीरे जाने कब वो हमख्यालात हो गई॥ 

जरूर होगा ऊपर वाले का रहम ओ करम
थी जिसकी तलाश उससे मुलाकात हो गई।

कट रहे दिन-रात मेरे मस्तियों में आजकल
मस्त-मस्त अब तो मेरी हर एक रात हो गई।

एक दूजे पर खुशी से खुशी लुटा रहे हैं हम
हम डाल-डाल पर तो वो पात-पात हो गई।



शुक्रवार, 3 अप्रैल 2009

मतदाताओ


मतदाताओ 
किसी का  न भय करो,अपना नेता तय करो।
तभी उसकी जय करो,तभी उसकी जय करो॥ 
आओ मिल कर चुने हम सब नेता जो हैं भले।
ताकि जीवन  और देश जिन से ढंग खूब चले।
आँख बंद कर आख़िर कब तक सोते यूँ रहोगे।
अपनी किस्मत पे भला कब तक यूँ रोते रहोगे॥

सदा ही झूठे वादों द्वारा हम लपेटे हैं
अक्ल से अपने आप में हम समेटे गए हैं
सबकी सुनके कभी नीति भी अपनी बनाओ
दिखावा छोड़ वोटर अपनी भी अक्ल लगाओ

डरने की तो प्यारे कहीं कोई बात नहीं है
जीने मरने में होता कभी कोई साथ नहीं है
जैसा हो माहौल तुम्हारा वैसे ही ढल जाओ
जो सब के ही हित में हो वैसे चल जाओ

सबका हित जो चाहे सचमुच नेता है वही
हित कहे अहित करे वो अपना नेता है नहीं
जब तक न बदलोगे प्यारे कुछ भी न बदलेगा
सिर्फ़ जीवन का दुःख दर्द आँखों से छलकेगा

बुधवार, 1 अप्रैल 2009

सोलह श्रंगार करके खुदको सजाया


सोलह श्रंगार करके खुदको सजाया
उसके काबिल मैंने खुदको बनाया
कहके बेदर्दी न आया
पागल मुझको बनाया

दो दिन से आंखों की नीदें उड़ी थी
मिलने की उस से उम्मीदें जुड़ी थी
उम्मीदों पे पानी फिराया
पागल मुझको बनाया

मन की बात मेंरे मन में ही रह गई
तन की आग मेंरे तन में ही रह गई
तन-मन उसने जलाया
पागल मुझको बनाया

परदेश जा के परदेशी हो गया वो
जाने किसके चक्कर में खो गया वो
जो ऐसे मुझको भुलाया
पागल मुझको बनाया

मंगलवार, 31 मार्च 2009

जालिम दिल तोड़ गया


जालिम दिल तोड़ गया।
          भटकने को छोड़ गया॥ 

जीवन भर ग़मों से
            रिश्ता मेरा जोड़ गया।

लेकर गया जीवन रस
            तन-मन निचोड़ गया।

लाकर दो राहे पर
           जीवन रुख मोड़ गया।

प्यार में धोखा देकर 
          मुझको झकझोड़ गया।




शनिवार, 28 मार्च 2009

मैंने उसको किया कभी मना ही नहीं


मैंने उसे किया कभी मना ही नहीं। 
          मगर उसने मुझे कभी छुआ ही नहीं॥ 

उसका अंदाज ही जहाँ से निराला लगे
             वैसा कोई मुझे कभी लगा ही नहीं।

बना रहता वो हर पल मेंरे सामने 
                 फ़िर भी मन कभी भरा ही नहीं।

समाया हुआ है मुझमें उसका ही नशा
           उसके नशा जैसा कोई नशा ही नहीं।

वो मेरी हर समस्या सुलझाना चाहते है

मेरा आशिक 

वो मेरी हर समस्या सुलझाना चाहते हैं।
शायद इसी बहाने मुझे
 फुसलाना चाहते हैं॥ 


हर तरह यकीन दिलाते हुए नहीं थकते
        सारे 
ही जमाने को झुठलाना चाहते हैं।


हाय जाने उन्हें क्या दिख गया मुझमें
        मेरी लिए सभी को ठुकराना चाहते हैं।


आशिक बहुत देखे मगर ऐसे न देखे 
           तन-मन-धन से लुट जाना चाहते हैं।

कहते हैं दुनियाँ मुझे रास नहीं आती
           लेकर 
मुझे कहीं उड़ जाना चाहते हैं।


दो पल नहीं जीवन भर साथ चाहिए
          इस तरह मुझसे 
जुड़ जाना चाहते हैं। 

गुरुवार, 26 मार्च 2009

जिन्दगी की जंग से यारो जूझना होगा


जिन्दगी की जंग से तुम्हें जूझना होगा।
         मोती के लिए सागर में डूबना होगा॥ 

बेताब होगा जरूर हर कोई सुनने को
   मगर कोयल सा मधुर तुम्हें कूकना होगा।

एक दिन जरूर मिलेगा मन का मीत
        उसके लिए दर-दर तुम्हें घूमना होगा।

सफलता काँटों से भरी हुआ करती है
         काँटों को तो प्यारे तुम्हें चूमना होगा।

मंगलवार, 24 मार्च 2009

लागा चुनरी में दाग के गीत के आधार पर गीत



प्यारा सजनी का प्यार भुलाऊं कैसे
भुलाऊं कैसे उसे घर लाऊं कैसे
प्यारा सजनी का प्यार ---

रूठी जब से मोरी सजनियाँ
प्यार से प्यारी मोरी सजनियाँ
जाके ससुराल में उसको मनाऊं कैसे
उसे घर लाऊं कैसे
प्यारा सजनी का प्यार ---

चली गई वो बिना बतलाये
तन तड़पे  मन मोरा घबराए
जाके ससुराल में उसको मनाऊं कैसे
उसे घर लाऊं कैसे
प्यारा सजनी का प्यार ---

कभी कभी मेरे मन में उठते
उलटे सीधे सवाल
बिन सजनी के सचमुच ही
ये जीवन है जंजाल
जाके ससुराल में उसको मनाऊं कैसे
उसे घर लाऊं कैसे
प्यारा सजनी का प्यार ---









बुधवार, 18 मार्च 2009

तीर कमान से चलाते नहीं सोचते सब घायल हो जायें


तीर कमान से चलाते नहीं 
              सोचते सब घायल हो जायें।
हुनर अपना दिखाते नहीं 
             सोचते सब कायल हो जायें।

इरादा हो तो कोई भी डायल 
                हो सकता तुम्हारे प्यार से
ऐसा नही कि बिना डायल किए 
                    मन के डायल हो जायें।

पहले पहले शुरूआत करनी 
             पड़ती अपनी तरफ़ से यारो
अगर तमन्ना है कि मेरे पैरों की 
                   सब ही पायल हो जायें।

मुस्कराने से भी आज परहेज 
                 करने लग गया हर कोई
अब आप ही बताओ ऐसे कैसे 
             सब ही तुम्हारे लायल जायें।

मंगलवार, 17 मार्च 2009

अपनी क्षमता से जादा क्यों दौड़ने लगे हो


अपनी क्षमता से जादा क्यों दौड़ने लगे हो।
       घबराके जीवन से नाता क्यों तोड़ने लगे हो॥ 

अच्छे अच्छों का बदलता है वक्त जीवन में
    होकर दुःखी अपना माथा क्यों ठोकने लगे हो।

जरूरी नहीं हमेशा मन का ही होता जाए
       पागलों  की तरह फिर क्यों भौंकने लगे हो। 

राज ए दिल को दिल में ही छुपाये रखिये
      बहक कर राज ए दिल क्यों खोलने लगे हो।

जब तक निभे निभाओ साथ अपनी तरफ़ से 
       निभे नहीं छोड़ो जहर क्यों घोलने लगे हो। 

दुश्मन बोलना चाहे समझो दाल में कुछ काला
 भूल कर सब उसके साथ क्यों डोलने लगे हो। 

मन की जिन्दगी यहाँ कहाँ मिलती सभी को
किस्मत का भांडा गैरों पर क्यों फोड़ने लगे हो।

रविवार, 15 मार्च 2009

आज कल तू मुझसे बोलता क्यों नहीं


आज कल तू मुझसे बोलता क्यों नहीं।
      राज ए दिल मुझसे खोलता क्यों नहीं॥ 

दिन रात सोचता रहता हूँ तेरे बारे में 
        मेरे बारे में आख़िर सोचता क्यों नहीं। 

नीरस सी लगने लगी है जिंदगी मेरी 
  पास आकर जीवन रस घोलता क्यों नहीं।

परेशां क्यों हो उलझ कर अपने आप में
       दिन रात तेरे बारे में सोचता क्यों नहीं। 

गुस्सा थूक कर आ जाओ करीब दिलवर
     दिल मिला कर साथ डोलता क्यों नहीं।


मंगलवार, 10 मार्च 2009

होली २००९


प्रेम फर्रुखाबादी
की
तरफ़
से
आपकी
होली २००९
शुभ
एवं
मंगलमय हो।
बहुत
बहुत
बधाई हो!!


रविवार, 8 मार्च 2009

तेरे प्यार की बदौलत जिन्दा हूँ अब तक


तेरे प्यार की बदौलत जिन्दा हूँ अब तक
    भूल कर अपना प्यार मुझसे कम न करो। 
दिलो जान से हाजिर हूँ मैं तुम्हारी खातिर
  अब और गुस्सा मेंरे वजीरे-आजम न करो।

आओ भूल जाएँ मिल कर सारे गिले शिकवे
    अपना बना लो ख़राब यह मौसम न करो।
जख्में दिल अब भरने वाले नहीं हैं जल्दी
      छोड़ दो इन्हें अब इन पर मरहम न करो।

मतलब में तो मीठे हो मगर हो कडुए तुम
         जाओ मैं नहीं बोलती मेरा दम न भरो।
जब भी जो चाहते हो तुम करते हो वही
उसपे कहते रहते हो कोई गम न करो।
















l








बुधवार, 4 मार्च 2009

जीने का हल निकाल लिया हम ने



जीने का हल निकाल लिया हमने।
             प्यार का रोग पाल लिया हमने॥ 

वो भी मायूस थे और हम भी 
            दिल से दिल उछाल लिया हमने।

जिन्दगी सलामत है मुहब्बत से ही
        कई तरीकों को खंगाल लिया हमने।

दोनों ही बच गये बरबाद होने से 
           एक दूजे को सभ्हाल लिया हमने





मंगलवार, 3 मार्च 2009

जब से तेरी मुहब्बत मिल गई है।


जब से तेरी मुहब्बत मिल गई है।
         सच कहूँ मुझे जन्नत मिल गई है।

तेरा इस तरह मुझपे फ़िदा होना
        लगे जहाँ की दौलत मिल गई है।

मुझे अब तुझसे जोड़ रहा हर कोई
     हर तरफ़ जैसे शुहरत मिल गई है। 

तेरा प्यार राम बाण औषधि जैसा
     मरते को जैसे मुहलत मिल गई है।

खुदा तेरा भी शुक्रिया साथ ही साथ
    यह खुशी तेरी बदौलत मिल गई है।


सोमवार, 2 मार्च 2009

कभी दो कदम मेरे साथ चलते तो क्या बात थी


कभी दो कदम मेरे साथ 
        चलते तो क्या बात थी। 
कभी दिल से मुझसे बात 
        करते तो क्या बात थी॥ 

दिल की बात जानने की 
    कभी कोशिश न की तुमने
मेंरे हाथों में अपना हाथ 
          धरते तो क्या बात थी।

कभी तो मेंरे दिलवर तुमने 
   मुझे अपनापन दिया होता।
कभी तो मेरे दर्द को तुमने 
 ग़र अपना बना लिया होता।

एक बार भी न पूंछा तुमने 
  कैसा लगता मेरा साथ प्रिये
कभी पास आकर अपने  
     सीने से लगा लिया होता।

अपनेपन के लिए उमर भर 
        तरसी हूँ आस लिए हुए
जीती रही जिन्दगी अपना
   यह चेहरा उदास लिए हुए।

कुए के पास रह कर भी 
  प्यासी रही यह जिन्दगी मेरी
लगता यूँ ही मर जाऊंगी 
   तन-मन की प्यास लिए हुए।



मेरी बातों में क्या रखा है

मेरी बातों में क्या रखा, 
             अपने दिल की बात सुनाओ।
देखें क्या है तकदीर तुम्हारी,
             लाओ अपना हाथ दिखाओ॥ 

आज मिले हो जैसे मुझसे,
             क्या कल भी मिलने आओगे
यहीं मिलोगे या और कहीं,
            होगी कहाँ मुलाकात बताओ।

रोज मिलेंगे दिल से मिलेंगे,
               जहाँ कहोगे हम वहाँ मिलेंगे
पर,जैसे मैं चाहती वैसे,
               गर तुम मेरा साथ निभाओ।

छल-कपट की बात नहीं,
                     देखो अपने इस प्यार में
मेरी इन बातों पर दिलवर,
               क्यों हो गए उदास बताओ।