मेरी मुहब्बत ने मुझपे क़यामत ऐसी ढ़ाई है।
जहाँ भी जाऊँ मिले बस मेरी रुसबाई है॥
जहाँ भी जाऊँ मिले बस मेरी रुसबाई है॥
वो थे तो था साथ बहारों का मौसम
अब वो साथ नहीं साथ मेरी तन्हाई है।
पहले तो खुश किया फिर रुला दिया मुझे
अब क्या कहूँ खुदा यह तो तेरी खुदाई है।
पा भी न सकूँ छोड़ भी न सकूँ उसे
मुहब्बत भी तूने क्या खूब ही बनाई है।