आखिर मोहब्बत को क्यों समझेगा जमाना।
न समझना जमाने का रहा अन्दाज पुराना।
मोहब्बत करने वाले मिटे मोहब्बत न मिटी
मुश्किल है दुनियां से मोहब्बत को मिटाना।
शायद फले-फूले मोहब्बत चोरी-चोरी से ही
मोहब्बत गर करोगे तो प्यारे पड़ेगा छुपाना।
मोहब्बत की दुश्मन है ये दुनियां सदियों से
नहीं माना वो जो हुआ मोहब्बत में दीवाना।