शनिवार, 26 दिसंबर 2009

रात भर करवट बदलती रही,मचलती रही


उन बिन काटे न कटी जागी मैं सारी रात 
वो जो होते साथ तो बन जाती मेरी बात 

हाय ! हाय!  हाय! 
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही
पिया के मिलन को तड़पती रही,तड़पती रही
सुलझे न सुलझी ये उलझन मेरी य उलझन मेरी 
मार कर अपने मन को तरसती रही तरसती रही 
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही

अकेले में जीना जीना है क्या-2
जीना नहीं यह जीना है सजा-2
कहते बने न यह मन की व्यथा 
मन की व्यथा ही है मेरी कथा-2
मैं ही जानूँ मुझे कैसा लगा 
तन-मन से ही धड़कती रही,बहकती रही
पिया मिलन को तड़पती रही,तड़पती रही
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही

हालत हुई कुछ मेरी इस तरह -२
कैसे बताऊँ अब तुम्हें उस तरह -२
कोशिश में कमी कोई रखी नहीं 
कोशिश तो की मैंने हर एक तरह-2 
समझ से परे थी बेचैनी मेरी-2
जल बिन मछली फड़कती रही,बिलखती रही
पिया के मिलन को तड़पती रही,तड़पती रही
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही

आँखों ही आँखों में रात कटी -२
पल भर को भी मैं सो न सकी -२
पगला गयी हूँ मैं उनके बिना 
मारी गयी हो जैसे मेरी मती-2
हालत बेकाबू मेरी होती गयी 
अपनी ही आग में सुलगती रही,भभकती रही
पिया के मिलन को तड़पती रही,तड़पती रही
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही

अब आये अब करती रही -२
दरवाजे को ही तकती रही- २
कुछ भी समझ में आया नहीं 
बस खुद को ही छलती रही-2 
धक धक दिल मेरा करता रहा
अरमान दिल के कुचलती रही,सुबकती रही
पिया के मिलन को तड़पती रही,तड़पती रही
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही

जैसा हुआ कभी वैसा न हो-२ 
तंग कोई मेरे जैसा न हो-२
अब क्या कहें क्या न कहें  
संग किसी के ऐसा न हो-2
अगन की चुभन घुटन से भरी
मन ही मन में सिकुड़ती रही,उखड़ती रही
पिया के मिलन को तड़पती रही,तड़पती रही
रात भर मैं करवट बदलती रही,मचलती रही