गुरुवार, 9 सितंबर 2010

मस्त हवाओ यह तो बताओ


मस्त हवाओ यह तो बताओ,
महबूब मेरा किस हाल में है।
छूकर उसके बदन को आओ,
महबूब मेरा, किस हाल में है। 
महबूब मेरा, किस हाल में है।

ऐ चाँद सुन, तुझे मेरी कसम,
देखता होगा, तू मेरा हमदम
खुद में ही मुझे उसे दिखाओ,
मस्त हवाओ यह तो बताओ
महबूब मेरा, किस हाल में है

तेरी खुदाई खुदा तू ही जाने,
आखिर करें क्या हम दीवाने
जल्दी से अब,मुझसे मिलाओ,
मस्त हवाओ,यह तो बताओ
महबूब मेरा, किस हाल में है।

5 टिप्‍पणियां:

  1. इस मौसम में आपकी रचना और भी रसीली लगती है........

    बधाई !

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  2. शायरों से मेरी गुजारिश यही है
    कैसे सोचता वो जहाँ भी कहीं है
    उसकी सोच मुझको पहुँचाओ।
    महबूब मेरा किस हाल में है।
    वाह ! बहुत मनोरम रचना ....आभार
    मैं अनुष्का .....नन्ही परी

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  3. आप का ब्लॉग पढ़ कर बहुत अच्छा लगा.
    हिंदी भाषा का प्रेमी हूँ, लेकिन मैं खुद अग्न्रेज़ी में लिखता हूँ.

    अकस्मात् ही आपका ब्लॉग मिल गया इन्टरनेट पर....
    कृपया मुझे बताएं कि आपके ब्लॉग को फोल्लो कैसे किया जाए?

    हमारी शुभकामनाएं कि आप और अच्छा लिखें और हमें भी हिंदी भाषा का ज्ञान प्रदान करें !

    आपका

    रोब्बी ग्रे

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (31-12-2019) को    "भारत की जयकार"     (चर्चा अंक-3566)  पर भी होगी।--
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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