बेसहारा हूँ प्रिये मुझे अपना सहारा दे दो।
नज़र मिला कर मुझे अपना नज़ारा दे दो॥
ग़र यह जिन्दगी इतराने लगे अपने आप पर,
चाहत का हँसीं मुझे अपना इशारा दे दो॥
बगैर तेरे यह जिन्दगी जीना है बड़ा मुश्किल
मुहब्बत से भरा मुझे अपना फुहारा दे दो॥
तड़प-तड़प कर जी जाऊँगा यह जिन्दगी मगर
साथ रह कर जीवन का गुजारा दे दो॥
जिन्दगी यह मेरी बस मस्त मस्त हो जाये
मिल जाय सुकून मुझे अपना शरारा दे दो॥
नायाब है, बहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंबेसहारा हूँ प्रिये मुझे अपना सहारा दे दो।
जवाब देंहटाएंनज़र मिलाकर मुझे अपना नज़ारा दे दो।
बहुत सुन्दर रचना!
राम-राम!
'ये जिन्दगी इतराने लगे अपने आप पर
जवाब देंहटाएंचाहत का हँसीं मुझे अपना इशारा दे दो।'
- सुन्दर.