रविवार, 17 जनवरी 2010

लाखों में हँसीं जानम चेहरा यह तुम्हारा


लाखों में हँसीं जानम चेहरा यह तुम्हारा।
तभी तो दिल ने तुझको दिल में उतारा।

मौसम की तो तुम्हें दाद ही देनी चाहिए
प्यार से
जिसने तुम्हारा रूप ये निखारा।

पहली ही नज़र में मैं तो होश गवां बैठा
पता ही नहीं चला दिल तुझपे कब हारा।

हर अदा तुम्हारी लुभाती है दिल को प्रिये
लगता यह अंदाज़ तेरा सबसे ही न्यारा

ख्वाहिश है दिल की ये रहूँ तेरे आस पास

इस तरह तूने मुझे दिलो-दिमाग से मारा

7 टिप्‍पणियां:

  1. मौसम की तो तुम्हें दाद ही देनी चाहिए
    प्यार से जिसने तुम्हारा रूप ये निखारा।

    -क्या बात है प्रेम भाई..बढ़िया.

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  2. ख्वाहिश है दिल की ये रहूँ तेरे आस पास
    इस तरह तूने मुझे दिलो-दिमाग से मारा।

    wah kya baat hai , dilo dimaag se maara.

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  3. प्रेम जी
    शब्दों के अच्छे तालमेल से रची सुन्दर रचना
    बहुत बहुत आभार

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  4. पहली ही नज़र में मैं तो होश गवां बैठा
    पता ही नहीं चला दिल तुझपे कब हारा ...
    हसीनों की ये अदा भी खूब है . पता ही नही चलता और इंसान दिल हार जाता है ......... मज़ा आ गया ......

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  5. लाखों में हँसीं जानम चेहरा यह तुम्हारा।
    तभी तो दिल ने तुझको दिल में उतारा।
    सुन्दर प्रेम अभिव्यक्ति।

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