जलवा हुश्न जवानी का मुझको दिखाके जां ना।
मोह लिया है तुमने मुझको मुसकराके जां ना।
तुझसे जो मिलता जन्नत में भी वो सकून नहीं
मेरी हो जाओ रखेंगे दिल में तुझे सजाके जां ना।
जीवन के तर्कों से मुझे कुछ भी लेना देना नहीं
मैंने अपने ख्यालों में ये तुझको समाके जां ना।
होश नहीं है मुझको हाय जब से तुझको देखा है
होश में लादो जब चाहे मुझे पास बुलाके जां ना।
बहुत रूमानी रचना है...अगर बुरा ना माने तो आप जा पर से चन्द्र बिन्दु हटा दें और जा ना कर दें...जां ना शब्द अखरता है..
जवाब देंहटाएंनीरज
"होश नहीं है मुझको"
जवाब देंहटाएं"होश में ला दो"
इतनी मदहोश कर देने वाली रचना और आप होश मे क्यू आना चाहते है.
बेहद खुब्सूरत और जानदार .......क्या कहने .....अतिसुन्दर
जवाब देंहटाएंबेहद खुब्सूरत रचना,.....
जवाब देंहटाएंNeeraj ji,
जवाब देंहटाएंbahut bahut shukriya.
प्रेमरस से परिपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएं---
आनंद बक्षी
उम्दा!!! बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंprem ji,
जवाब देंहटाएंaisi hi rachna se apna blog sajate jaana. badhia.
khoobsoorat rachna.
जवाब देंहटाएंआप सभी ब्लोगर मित्रों का मेरा हौसला बढाने के लिए दिल से धन्यबाद!!
जवाब देंहटाएंशानदार रचना के लिए बधाई !
जवाब देंहटाएंsorry for checking your comment posted on my blog on 5 th May today.Too late...
जवाब देंहटाएंmy email id is alok.sarswat@gmail.com and it would be a pleasure for me too to meet you. :)