शुक्रवार, 21 अगस्त 2009

जलवा हुश्न जवानी का मुझको दिखाके जां ना।


जलवा हुश्न जवानी का मुझको दिखाके जां ना।
मोह लिया है तुमने मुझको मुसकराके जां ना।

तुझसे जो मिलता जन्नत में भी वो सकून नहीं
मेरी हो जाओ रखेंगे दिल में तुझे सजाके जां ना।

जीवन के तर्कों से मुझे कुछ भी लेना देना नहीं
मैंने अपने ख्यालों में ये तुझको समाके जां ना।

होश नहीं है मुझको हाय जब से तुझको देखा है
होश में लादो जब चाहे मुझे पास बुलाके जां ना।

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत रूमानी रचना है...अगर बुरा ना माने तो आप जा पर से चन्द्र बिन्दु हटा दें और जा ना कर दें...जां ना शब्द अखरता है..
    नीरज

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  2. "होश नहीं है मुझको"
    "होश में ला दो"
    इतनी मदहोश कर देने वाली रचना और आप होश मे क्यू आना चाहते है.

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  3. बेहद खुब्सूरत और जानदार .......क्या कहने .....अतिसुन्दर

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  4. आप सभी ब्लोगर मित्रों का मेरा हौसला बढाने के लिए दिल से धन्यबाद!!

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  5. शानदार रचना के लिए बधाई !

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  6. sorry for checking your comment posted on my blog on 5 th May today.Too late...
    my email id is alok.sarswat@gmail.com and it would be a pleasure for me too to meet you. :)

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