मंगलवार, 25 अगस्त 2009

तेरे लिए मैं लाया हूँ प्यार भरा यह दिल


तेरे लिए लेकर आया हूँ प्यार भरा यह दिल।
क्या करूँ क्या न करूँ जो हो जाए हासिल॥

गोरा गोरा बदन यह तेरा मुझको लुभाये रे 
जितना देखूँ उतना पागल मुझको बनाये रे
चार चाँद लगाये मुखपे काला काला तिल।
क्या करूँ क्या न करूँ जो हो जाए हासिल।

तुझको पाना ही मेरा अरमान जाने जां ना 
तेरा मेरा रिश्ता यह लगता सदियों पुराना
तुझको पाकर ही जैसे जीवन जाएगा मिल।
क्या करूँ क्या न करूँ जो हो जाए हासिल।

प्यार की मस्ती में होगी प्यारी मुलाकातें
एक दूजे की बाँहों में गुजरेंगी अपनी रातें
तेरे प्यार की खुश्बू से दिल जाएगा खिल।
क्या करूँ क्या न करूँ जो हो जाए हासिल।

11 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी रचना...........
    वाह !
    बधाई !

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  2. प्रेम दर्शाना तो कोई आप से सीखे,
    नटखट प्यार से भरा सुंदर गीत...बधाई

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  3. बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति, बधाई

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  4. प्रेम जी,

    यदि मैं इसे एक प्रेम गीत ना कह कर यदि प्रेम भावों से भरा कोई भक्ती गीत कहूँ तो?

    आपकी रचनाओं की गेयता उन्हें विशिष्टता देती हैं वहीं प्रेम की अतीव भावना उन्हें पाठक से जोड़ देती है।

    प्यार भरा गीत।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  5. आप सभी ब्लोगर मित्रों का मेरा हौसला बढाने के लिए दिल से धन्यबाद!!

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  6. तेरे लिए मैं लाया हूँ प्यार भरा यह दिल।
    क्या करुँ मैं जिस से तू हो जाए हासिल

    BADHIYA PREM JI ...... BAS DIL LAGAAYE RAHENGE TO MIL HI JAAYENGE VO . SUNDAR HAI

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