मंगलवार, 21 जुलाई 2009

देखो शबाब है यह मस्त शराब है यह


देखो शबाब है यह मस्त शराब है यह।
        आगे बढ ओ दीवाने बड़ा लाजवाब है यह॥ 

मेरे बदन की खुश्बू फैली हुई है हर शू
       मेरी खुश्बू में समाजा खिलता गुलाब है यह।

पास आता क्यों नहीं मुझे सताता क्यों नहीं
       सच सच कहूं मैं तुझसे आदत ख़राब है यह।

बाँहों में लीजिये ना आँखों से पीजिये ना
    आ के बेखौफ पढ़ ले हुस्न की किताब है यह।

10 टिप्‍पणियां:

  1. natkhat masti bhari,sunder ehsaas liye sunder kavita,bahut khub

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रेम जी,

    प्रेम के रस में सराबोर इस रचना के लिये बधाईयाँ।

    सच सच कहूं मैं तुझसे
    आदत ख़राब है यह।

    बहुत ही प्यार भरी नाराजगी है।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

    जवाब देंहटाएं
  3. आके बे खौफ पढ़ ले
    हुस्न की किताब है यह।
    masti के एहसास से भरी है आपकी रचना............ बहुत खूब लिखा है

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बाँहों में लीजिये ना
    आँखों से पीजिये ना
    आके बे खौफ पढ़ ले
    हुस्न की किताब है यह।

    बहुत बढ़िया।
    शराब का रंग होता ही ऐसा है।

    जवाब देंहटाएं
  6. मेरा हौसला बढाने के लिए आप सभी ब्लागर मित्रों का दिल से धन्यबाद !!

    जवाब देंहटाएं